भारत मंदिरों का देश है। जितने सुंदर अौर भव्य मंदिर हमारे देश में हैं, वैसे धर्मस्थल शायद ही दुनिया के किसी देश में हों। लेकिन, हमारे मंदिरों की स्थापत्य कला काे दुनिया में वैसा स्थान प्राप्त नहीं है, जैसा दुनिया में अन्य धर्मों के स्थलों को मिला है। जबकि हमारे सैकड़ाें मंदिर इतने सुंदर हैं कि पहली बार देखने पर हर व्यक्ति अवाक रह जाता है। सैकड़ों हजारों साल पहले बने इन मंदिराें को जब बनाया गया तब अाज की तरह भारी भरकम मशीनें नहीं थीं, इसके बावजूद ये भव्य आैर गगनचुंबी इमारतें तैयार हुईं।
इस कड़ी में हम अापको रामेश्वरम यानी रामनाथ स्वामी मंदिर के बारे में बताएंगे। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। लंका जाने से पहले भगवान राम ने यहां पर भगवान शिव की अाराधना की थी। 12वीं सदी में पांड्या वंश के समय इस मंदिर का विस्तार किया गया। बाद में जाफना साम्राज्य के राजा जयवीरा अाैर अनके उत्तराधिकारी गुनावीरा ने इसके मुख्य भवन का जीर्णोद्धार करावाया। इस मंदिर का गलियारा देश के सभी हिंदू मंदिरों में सबसे लंबा है। तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामेश्वरम पंबन द्वीप पर स्थित है। यहां पर आप साल में किसी भी दिन आ सकते हैं। जुलाई से सितंबर तक बारिश में यहां का नजारा अत्यंत ही खूबसूरत होता है। हालांकि, अक्टूबर से अप्रैल यहां आने का सबसे उचित समय है।
रामेश्वरम में मुख्य मंदिर रामनाथस्वामी है, लेकिन इनके अलावा भी रामेश्वरम में अनेक दर्शनीय स्थल हैं। रामनाथस्वामी मंदिर के कॉरीडोर यानी गलियारे की वास्तुकला मन को मोहने वाली है। इस मंदिर में दो लिंगम हैं- रामलिंगम व शिवलिंग। यही वजह है कि यह स्थान शिवभक्तों और विष्णुभक्तों दोनों के लिए ही समान महत्व वाला है। यहां पर पानी के 22 कुंड हैं, जिनमें श्रद्धालु पापों से मुक्ति की कामना लेकर डुबकी लगाते हैं। मंदिर के साथ लगा अग्नितीर्थम में लोग डुबकी लगाकर पुण्य की कामना करते हैं। यहां पर ही गंधमगंधमधन पर्वत है।
रामेश्वरम में ही कोथानदरामस्वामी मंदिर है। इस मंदिर में विभीषण की पूजा होती है। यह मंदिर उस स्थान पर है, जहां विभीषण ने भगवान राम से मित्रता की थी। यह मंदिर बंगाल की खाड़ी के एकदम किनारे पर है, लेकिन अनेक चक्रवातों के बावजूद इस मंदिर को कभी कोई क्षति नहीं हुई। यहां पर ही एडम ब्रिज या रामसेतु भी है।