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पहला विश्व कप खेलने के लिए टीमों को मनाने में पसीना आ गया था फीफा प्रमुख रिमेट को

विश्व कप का पहला गोल फ्रांस के लुसियन लॉरेंट ने किया था और उरुग्वे ने अर्जेंटीना को 4-2 से पराजित कर जीती थी चैंपियनशिप

इस समय दुनिया में कतर में हो रहे फीफा विश्वकप की धूम है। दुनिया की चोटी की 32 टीमें अगले दौर में जाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं।  लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आज जिस विश्व कप में खेलने के लिए दुनिया के देशों की टीमें सपना देखती हैं, उसी पहले विश्वकप में खेलने के लिए टीमों को मनाकर लाना पड़ा था। जबकि, दुनिया का पहला अंतरराष्ट्रीय मैच एक चैलेंज मैच था, जो 1872 में स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के बीच हुआ था।

पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता ब्रिटिश होम चैंपियनशिप थी, जो 1884 में शुरू हुई थी और इसमें चार टीमें इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और आयरलैंड हिस्सा लेते थे। यह प्रतियोगिता 100 साल चलने के बाद 1984 में बंद हो गई।

जैसे-जैसे फुटबॉल का दायरा बढ़ा तो ओलंपिक में 1900 और 1904 में इसे प्रदर्शनी खेलों के रूप में शामिल किया गया। इसमें कोई मेडल नहीं दिया गया। 1908 के लंदन ओलंपिक में फुटबॉल पहली बार आधिकारिक रूप से एक खेल के रूप में शामिल किया गया। फुटबॉल का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक ग्रेट ब्रिटेन ने जीता। 1904 में फीफा यानी फेडरेशन इंटरनेशल डी फुटबॉल एसोसिएशन का गठन हो गया था। लेकिन, उसने 1906 में स्विटजरलैंड में उन देशों के बीच एक अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता कराई, जो ओलंपिक के दायरे से बाहर थे। लेकिन यह टूर्नामेंट पूरी तरह से विफल रहा।

ओलंपिक में केवल एमेच्योर टीमें ही हिस्सा लेती थी, इसलिए 1909 में सर थॉमस लिप्टन ने सर थॉमस लिप्टन ट्राॅफी का आयोजन किया। इसमें इटली, जर्मनी व स्विटजरलैंड के प्रमुख क्लबों की टीमों ने हिस्सा लिया। इसमें भाग लेने वाली टीमें संबंधित देशों की राष्ट्रीय टीमें नहीं थीे, लेकिन हर देश से एक ही टीम थी और टूर्नामेंट में वह उस देश का प्रतिनिधित्व कर रही है। यह प्रतियोगिता एक तरह से फुटबॉल का पहला विश्वकप था।

1914 में फीफा ने ओलंपिक के टूर्नामेंट को मान्यता देते हुए इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी ले ली। इससे पहले अंतरमहाद्वीपीय फुटबॉल प्रतियोगिता का मार्ग प्रशस्त हो गया और 1920 के ओलंपिक में मिस्र और 13 यूरोपीय टीमों के बीच मुकाबला हुआ और बेल्जियम चैंपियन बना। 1924 और 1928 के दो आलंपिक में उरुग्वे ही चैंपियन रहा। ये दाेनों ओलंपिक प्रतियोगिताएं एक तरह से पहली दो ओपन विश्व चैंपियनशिप थीं। 1924 फीफा के प्रोफेशनल युग की शुरुआत भी था।

जूल्स रिमेट


ओलंपिक प्रतियोगिताओं की सफलता से उत्साहित फीफा अब अपनी खुद की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता कराने की सोचने लगा। तत्कालीन फीफा अध्यक्ष जूल्स रिमेट इसके प्रमुख सूत्रधार थे। 28 मई 1928 को एम्सटर्डम में हुई फीफा कांग्रेस में अपनी खुद की विश्व चैंपियनशिप कराने का फैसला हुआ। दो बार की चैंपियन उरुग्वे के सम्मान और उनकी आजादी की शताब्दी की वजह से 1930 में उरुग्वे में पहली फीफा वर्ल्ड कप कराने का निर्णय हुआ। लेकिन, यूरोपीय देश अटलांटिक महासागर को पार करके इतनी दूर उरुग्वे जाने को तैयार नहीं थे। रिमेट पहले ही यह भांप चुके थे, इसलिए उन्होंने बेल्जियम, फ्रांस, रोमानिया और यूगोस्लाविया को इसके लिए पहले ही तैयार कर लिया था।

13 जुलाई 1930 को पहले विश्व कप की औपचारिक शुरुआत हुई। पहले दो मैच एक साथ हुए, जिसमें फ्रांस ने मेक्सिको को 4-1 और अमेरिका ने बेल्जियम को 3-0 से हराया। विश्व कप के इतिहास का पहला गोल फ्रांस के लुसियन लॉरेंट ने किया। फायनल मैच में उरुग्वे ने अर्जेंटीना को 4-2 से पराजित किया और पहला आधिकारिक विश्व चैंपियन बना।

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