म्यूचुअल फंड : मेरे लिए कौन सी योजना ठीक रहेगी?
निवेश से पहले आपको अपनी उम्मीदों, अनुभव, मौजूदा वित्तीय हालत, तरलता, जिंदगी के लक्ष्य, डर और लालच पर स्पष्टता होनी चाहिए
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले अधिकांश लोगों के मन में अक्सर एक सवाल रहता है कि कौन सी योजना बेहतर रहेगी? अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो हम आपको निवेश से पहले एक चेकलिस्ट देना चाहेंगे। यानी कुछ ऐसे विकल्प जिन पर आपकी हां या ना आपके सवाल का जवाब हो सकता है और आप अपने लिए सही योजना तक पहुंच सकते हैं। आपके सवाल का जवाब कुछ सवालों से ही निकलेग तो पहला सवाल यही है कि आप यह सवाल क्यों पूछ रहे हैं? क्या आप शिक्षा, घर, कार, छुट्टी या फिर रिटायरमेंट में से किसी काम के लिए निवेश करना चाहते हैं? इस सवाल का जवाब यह जानने में मदद करेगा कि आपको कितने समय के लिए निवेश करना है? जिससे आपको सही योजना का चुनाव करने में मदद मिलेगी।
अक्सर लोग अपने पास पड़े अतिरिक्त धन को निवेश करके उसे दोगुना करना चाहते हैं। असल में इस सवाल का उद्देश्य इस बात को पुख्ता करना होता है कि संबंधित व्यक्ति को उसका वांछित रिटर्न मिल सके। हालांकि चुनौती यह है कि कोई भी स्कीम हमेशा एक जैसा रिटर्न नहीं देती और साल दर साल उसका प्रदर्शन बदलता रहता है। उदाहरण के लिए 2020 में गोल्ड ने सर्वाधिक 28 प्रतिशत और इक्विटी ने उसके बाद 16 फीसदी रिटर्न दिया, लेकिन 2021 में इक्विटी ने सर्वाधिक 22 फीसदी जबकि गोल्ड सबसे नीचे -4 फीसदी पर आ गया। डेट फंड ने 2014 में 11 फीसदी रिटर्न दिया था, लेकिन उसके बाद के सालों में यह उससे कम रिटर्न दे रहा है और 2021 में तो यह चार फीसदी ही रहा। 2021 में सर्वाधिक रिटर्न देने वाले इक्विटी फंड ने 2015 में -5 फीसदी रिटर्न दिया था।
जैसे ही निवेश का मूल्य ठीक ठाक हो जाता है तो निवेशक के मन में उसे कार, घर या छुट्टियों की मौज मस्ती पर खर्च करने की इच्छा जागृत हो जाती है। अनेक बार किसी इमरजेंसी या बीमारी में जबरन पैसा निकालना पड़ता है। इच्छा एक भीतरी मामला है जबकि इमरजेंसी बाहरी कारक है, लेकिन दोनों ही स्थितयों ने निवेश किया गया धन खर्च होता है।
वैसे भी किसी म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन कभी एक समान नहीं रहता। वह बाजार के मुताबिक ऊपर नीचे होता है। फिक्स डिपोजिट में जहां आपको हर साल एक राशि िमलती है, वहां म्यूचुअल फंड में यह कम या ज्यादा दोनों हो सकता है। किसी व्यक्ति के जीवन के लक्ष्य भी समय के साथ बदलते रहते हैं, इसी के अनुसार उसके पोर्टफोलियो में भी बदलाव होता है। निश्चित ही आप अपने धन को बढ़ाना चाहते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि आप अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की अवधि का सही से आकलन कर लें। इसके साथ ही इस पर न केवल साल दर साल नजर रखें, बल्कि अपनी व्यक्तिगत प्रोफाइल के हिसाब से भी इसे ट्रैक करते रहें।
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू एसेट का आवंटन और उसमें विविधता है। म्यूचुअल फंड में सफलता के लिए यह अत्यंत ही अहम है। कोई भी एक सर्वश्रेष्ठ योजना या सर्वश्रेष्ठ रिटर्न नहीं है। महत्वपूर्ण है कि आप अच्छी योजना का चुनाव करें और जोखिम में संतुलन वाले रिटर्न पर ध्यान केंद्रित करें। म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सबसे बड़ा जोखिम हमारा खुद का व्यवहार होता है। आपको बेहतर योजना की पहचान के लिए किसी सलाहकार के पास जाने की जरूरत नहीं है आप बस एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड की साइट पर जाएं और अच्छी स्कीम का पता कर लें। सलाहकार की जरूरत आपको अपने जोखिम को पहचानने में मदद लेने के लिए होगी। वह आपको यह तय करने में भी मदद करेगा कि आपको कितने समय तक निवेश करना है। साथ वह आपके डर या लालच दोनों ही भावनाओं को नियंत्रण करने में भी मदद करेगा। बस एक बात याद रखें कि इसमें जो चीज हमेशा रहने वाली या स्थायी है वह है बदलाव।
इससे आपको अपने सवाल का जवाब मिल गया होगा। क्योंकि किसी भी योजना में निवेश से पहले आपको अपनी उम्मीदों, अनुभव, आपकी मौजूदा वित्तीय हालत, तरलता, जिंदगी के लक्ष्य, डर और लालच सहित अनेक बातों पर स्पष्टता होनी चाहिए। इसके बिना आपको कभी भी अपने सवाल का सही जवाब नहीं मिल सकेगा।