क्यों दिखते हैं सुंदरबन के भुतहा प्रकाश पुंज?
पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के दलदली इलाकों में रात को दिखने वाली भुतहा रोशनी यानी अलेया घोस्ट लाइट्स लोगों की रूह कंपा देती है। अगर कोई रात को सुंदरबन के इन दलदली इलाकों में जाता है तो उसे कई रंगों की रोशनी हवा में दिखाई देती है। मछली या मुट्ठी के आकार के तीखे से दिखने वाले ये प्रकाश पुंज कई मछुआरों की मौत की वजह भी बने हैं, क्योंकि वे इनकी वजह से अक्सर रास्ता भटक जाते हैं। लोगों का मानना है कि ये प्रकाश पुंज उन मछुआरों के हैं, जो मछली पकड़ते समय किसी अनजानी वजह से अपनी जान गंवा बैठे हैं। क्योंकि आज हम वैज्ञानिक युग में हैं, इसलिए यह बातें गले नहीं उतरती हैं, लेकिन बंगाल की इस रोशनी का लोगों में डर भीतर तक समाया हुआ है। इन दलदली इलाकों में रहने वाले लोग इन्हें लेकर आज भी दहशत में रहते हैं।
हम आपको इस रोशनी की वैज्ञानिक वजह बताते हैं। सबसे पहले आपको बता दें कि सुंदरबन जैसी भुतहा रोशनी दुनिया के अनेक हिस्सों में दिखाई देती है। गुजरात में कच्छ के रण में भी इस तरह की रोशनी को चिर बत्ती यानी भुतहा रोशनी कहते हैं। अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक ऐसी रोशनी मिलती है। ब्रिटेन में दिखने वाली इस तरह की रोशनी के बारे में कहा जात है कि यह खजाने की रक्षा करने के लिए है। यानी सभी जगहों पर आम लोग इस रोशनी को सामान्य नहीं मानते हैं आैर उनकी इन्हें लेकर किसी न किसी किस्म का डर होता है।
1776 में इटली के एक वैज्ञानिक अलेसांद्रो वोल्टा ने बताया कि इन दलदली इलाकों में मीथेन प्रचुर मात्रा में पाई जाती है और उसके आयनीकरण की वजह से प्रकाश दिखता है। 1832 में एक अन्य वैज्ञानिक मेजर लुइस ने भी इन प्रकाश के गोलों की वजह गैस का जलना बताया। फास्फीन व डाईफास्फेन व मीथेन के ऑक्सीकरण से फोटोन पैदा होते हैं और वे यह चमक बिखेरते हैं।