अक्षय तृतीया 22 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू, अधिकतर मार्गों पर काम पूरा फिर भी सावधानी जरूर रखें
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की शुरुआत शनिवार 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन शुरू हो रही है। अगर आप 2023 में चार धाम यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखें, ताकि यात्रा के दौरान आपको किसी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े। सबसे पहले हम आपको बता दें कि इस बार भी यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है अत: यात्रा पर जाने से पहले पंजीकरण जरूर करा लें। यात्रा के लिए पंजीकरण 20 फरवरी से शुरू हो चुका है। अब तक 15 लाख से अधिक लोग पंजीकरण करा चुके हैं। अब स्कूलों में छुट्टियां शुरू होने वाली हैं तो अनेक लोग यात्रा के साथ ही उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों का भी आनंद लेना चाहेंगे। अगर आप यात्रा पर आ रहे हैं तो हम आपको कुछ ऐसी टिप देना चाहेंगे, जिससे आप आसानी से धार्मिक पर्यटन व मनोरंजक पर्यटन दोनों को ही कम से कम समय और कम से कम खर्च में पूरा कर सकें। आपको बता दें कि सिखों के प्रमुख धाम श्री हेमकुंड साहिब के कपाट इस बार 20 मई से खुलेंगे। गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब मैनेजमैंट ट्रस्ट के अध्यक्ष सरदार नरेंद्रजीत सिंह ब्रिंद्रा ने इसका ऐलान किया। उन्होंने बताया है कि श्रद्धालुओं के लिए लंगर, पानी व चिकित्सा आदि की व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। सभी श्रद्धालु प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइनों का पालन जरूर करें।
सबसे पहले अगर आप चारों धाम यानी गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर जा रहे हैं तो यात्रा की शुरुआत परंपरागत तौर पर यमुनोत्री से होती है। यमुनोत्री पहुंचने की तीन रास्ते हैं। तीनों ही रास्तों से यमुनोत्री समान दूरी पर है। लेकिन, आप किधर से आ रहे हैं, इसके आधार पर यह दूरी कम या ज्यादा हो सकती है। हम बता दें कि चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव ऋषिकेष है, यहां से यमुनोत्री की दूरी करीब 200 किलोमीटर है। लेकिन यमुनोत्री जाने के लिए एक रास्ता देहरादून के विकासनगर व एक मसूरी से होकर भी जाता है। अगर आप हरियाणा पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर की तरफ से आ रहे हैं तो आपके लिए ये रास्ते सही रहेंगे। बाकी लोग तीनों में से किसी भी रास्ते को चुन सकते हैं, क्योंकि दूरी व समय समान ही रहेगा। यमुनोत्री जाने के लिए सड़क मार्ग जानकी चट्टी तक ही है और यहां से आपको छह किलोमीटर की चढ़ाई पैदल या घोड़े पर करनी होती है। इसमें अापको तीन से चार घंटे का समय लगेगा। वापसी में आप जल्दी नीचे आ जाएंगे। इसलिए कोशिश करें कि आप सुबह जल्दी ही जानकी चट्टी से चढ़ाई करें और जल्द वापस लौटें। ऋषिकेश या देहरादून से जानकी चट्टी पहंुचने में पांच से सात घंटे का समय लगता है। सभी यात्रा मार्गों पर यात्रियों के ठहरने के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम के कई गेस्ट हाउस हैं। जिनकी बुकिंग ऑनलाइन हो सकती है। सरकारी होने की वजह से ये किफायती हैं और सुविधाएं भी ठीकठाक हैं। अनेक निजी होटल व होम स्टे भी इन मार्गों पर हैं। अगर आप यमुनोत्री जाने से एक दिन पहले जानकी चट्टी या आसपास पहुंच जाते हैं तो आप अगले दिन यमुनोत्री के दर्शन करके गंगोत्री या गंगोत्री के आसपास पहुंच सकते हैं। यमुनोत्री से गंगोत्री की दूरी 227 किलोमीटर है।
ध्यान रखें की यात्रा के दौरान चारों धामों में बहुत भीड़ होने की वजह से रिहाइश की मांग अधिक होने से उसकी दर भी बढ़ जाती है। इसलिए रहने की व्यवस्था पहले ही करा लें। अगर आप रहने के लिए मुख्य पड़ाव के स्थान पर किसी करीबी जगह का चयन करेंगे तो वह अधिक सुविधाजनक और किफायती भी रहेगा। गंगोत्री तक आप अपने वाहन से पहुंच सकते हैं। यहां पर भी अगर आप सुबह दर्शन कर लेते हैं तो आप यहां से गौरीकुंड के लिए चल सकते हैं। गंगोत्री से गौरीकुंड की दूरी करीब 400 किलोमीटर है। गौरीकुंड के लिए कई वैकल्पिक मार्ग भी उपलब्ध हैं। लेकिन प्रमुख मार्ग देवप्रयाग, श्रीनगर और रुद्रप्रयाग होते हुए जाता है। यात्रा के दौरान एक बात का ध्यान रखें कि अगर आपके साथ कोई स्थानीय व्यक्ति हो तो ही वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करें और इस बारे में अच्छे से पता कर लें कि ये मार्ग कहीं से अवरुद्ध तो नहीं हैं। गौरीकुंड पहुंचने से पहले आपको बीच में कहीं न कहीं रुकना होगा। श्रीनगर व रुद्रप्रयाग में रुकने के लिए आपको काफी विकल्प मिल सकते हैं। वैकल्पिक मार्गों से आप सीधे तिलवाड़ा या अगस्त्यमुनि भी पहुंच सकते हैं। रास्ते में सोनप्रयाग व ऊखीमठ दो बड़े शहर आएंगे। यहां पर भी रहने की उचित व्यवस्था है। केदारनाथ जाने के लिए आपको करीब 15 किलोमीटर की चढ़ाई तय करनी होगी। इसलिए यह यात्रा भी जितनी जल्द शुरू हो बेहतर रहेगा, क्योंकि यहां पहंुचने में आपको पांच से छह घंटे का समय लग सकता है। केदारनाथ जाने के लिए आपके पास हेलीकॉप्टर से लेकर घोड़े तक सभी विकल्प उपलब्ध हैं। लेकिन, यहां पर भी एडवांस बुकिंग जरूरी है। केदारनाथ पहुंचने के बाद आपको अलग ही अहसास होगा। हो सकता है कि आप यहां पर रुकना भी चाहें। अगर ऐसा हो तो बुकिंग एडवांस में ही कराएं। केदारनाथ में भगवान शिव के दर्शन के उपरांत अापकी चार धाम यात्रा का चौथा पड़ाव बद्रीनाथ धाम होगा। यहां से बद्रीनाथ धाम की दूरी 200 किलोमीटर से कुछ ही अधिक है और आप एक ही दिन में वहां पहुंच सकते हैं। बद्रीनाथ पहुंचने के लिए आप चोपता, मंडल, गोपेश्वर होकर चमोली पहुंच सकते हैं या फिर रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग होकर चमोली जा सकते हैंं। चमोली के बाद पीपल कोटी, जोशीमठ होकर आप बद्रीनाथ पहुंचेंगे। अगर आप शाम को बद्रीनाथ पहुंच जाते हैं तो आप उसी दिन भी भगवान के दर्शन कर सकते हैं। क्योंकि यहां पर आपको कोई चढ़ाई तय नहीं करनी है। ध्यान रहे कि बद्रीनाथ की यात्रा सुगम होने के कारण आपको सर्वाधिक यात्री भी यहीं मिलेंगे। यहां पर रहने की सुविधाएं पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। लेकिन, बेहतर होगा कि बुकिंग कराकर ही यहां आएं। बद्रीनाथ दर्शन के बाद आप देश का पहला या आखिरी गांव माणा के देखने जा सकते हैं। यहां पर भीमपुल व सरस्वती नदी को भी देख सकते हैं। यहां पर आपकी चारधाम यात्रा पूरी हो जाएगी, इसलिए अब आप उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों को देखने की तैयारी कर सकते हैं।
हालांकि, सिख तीर्थयात्रियों के साथ ही आप हेमकुंड साहिब भी जा सकते हैं। यह स्थान धार्मिक महत्व के साथ प्राकृतिक छटा का भी अनूठा केंद्र है। यही नहीं अगर, वैली ऑफ फ्लावर खुल गई हो तो आप वहां भी जा सकते हैं। याद रहे कि इन यात्राओं के लिए आपमें जोश के साथ ही दमखम भी होना चाहिए। जोशीमठ पहुंच कर आप ऑली जा सकते हैं। जहां पर स्कींइंग भी कर सकते हैं। इसके अलावा ऋषिकेश व हरिद्वार में गंगास्नान और वोटिंग व राफ्टिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं। अगर आपका दिल न भरा हो तो अभी देहरादून व मसूरी भी बाकी है। आप चाहें तो नई टिहरी भी जा सकते हैं। जहां पर पानी के बीच बनी कॉटेज में रहने का अानंद ही अलग है।
अगर आप सिर्फ तीर्थाटन में विश्वास रखते हैं तो हम आपको बता दें कि उत्तराखंड में अति महत्व वाले अनेक मंदिर हैं। आप उनके भी दर्शन कर सकते हैं। इनमें कई तो आपके यात्रा मार्ग पर भी हैं। आप चार धाम के अलावा कार्तिक स्वामी, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, धारी देवी, देवप्रयाग व रुद्रप्रयाग के मंदिरों का भी दर्शन कर सकते हैं। अगर आप चाहें तो चार धाम यात्रा से वापसी में कुमाऊं मंडल का रुख भी कर सकते हैं। कर्णप्रयाग से गैरसैंण होते हुए आप रानीखेत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और नैनीताल पहुंच सकते हैं। बीच में आपको कैंची धाम भी मिलेगा, जो नीम करोरी बाबा का स्थान हैं। यही नहीं अगर रोमांच के साथ कुछ अलग करना चाहते हैं तो आप जोशीमठ से नीती घाटी का रुख भी कर सकते हैं। इस घाटी की नैसर्गिक छटा देखते ही बनती है, लेकिन यह भी ध्यान रखें कि यहां जाना जोखिम भरा भी है।