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किस अंग्रेज प्रधानमंत्री ने नहीं चुकाई देश के एक क्लब की उधारी

भारत में अंग्रेज जहां भी रहे, उन्होंने अपने मनोरंजन के िलए क्लब बनाए। इन क्लबों में उस समय भारतीयों को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। आज ये क्लब संबंधित शहरों के धनाढ्य वर्ग के मनोरंजन का साधन हैं। इन क्लबों की सदस्यता होना एक स्टेटस सेंबल समझा जाता है। लेकिन, हम आज आपको एक ऐसे ही क्लब की कहानी बताते हैं, जिसके खातों में ब्रिटेन के एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर आज भी 13 रुपये की उधारी है। हालांकि, बाद में इस उधारी को वसूली न किए जाने लायक मानते हुए राइट ऑफ कर दिया गया।

ब्रिटिश शासन के दौरान उसके अफसरों के लिए 1868 में बंगलौर यूनाइटेड सर्विसेज क्लब की स्थापना हुई। इसे ही बाद में बंगलौर क्लब कहा गया। क्लब जिस भवन में बना वह असल में पोलो क्लब के लिए था, लेकिन 1860 में पोलो क्लब वहां से चला गया। 1863 में इस परिसर में कुछ अफसरों ने एक अनौपचारिक क्लब की स्थापना की। उन्होंने 1868 तक इस क्लब की मौजूदगी की औपचारिक घोषणा नहीं की। बंगलौर क्लब के गठन के बाद अनेक प्रमुख लोग इसके सदस्य रहे। उनमें से एक थे, लेफ्टिनेंट विंस्टन चर्चिल, जो भारत में रहने के दौरान 1896 तक इसके सदस्य रहे। वह करीब तीन साल तक क्लब के सदस्य रहे। महारानी के चौथे घुड़सवार दस्ते के सैनिक के रूप में चर्चिल ने भारत में रहते हुए तीन युद्धों में हिस्सा लिया। जब वह स्टेशन में होते थे तो वह पोलो खेलते या फिर किताब पढ़ते।

लेकिन, भारत में प्रवास के दौरान उनकी एक बात में और रुचि थी। वह थी बंगलौर में रहने वाली एक खूबसूरत युवती पामेला प्लोडन। लेकिन, चर्चिल का रोमांस तब खत्म हो गया, जब पामेला इंग्लैंड गई और वहां जाकर लेडी लिटन बन गई। कुछ समय बाद चर्चिल भी भारत से चले गए, लेकिन जाते-जाते वह खातों में 13 रुपये की उधारी छोड़ गए। बाद में चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए।

बंगलौर क्लब आज भी वैसा ही है, जैसा यह अपने शुरुआती दिनों में था। आज भी क्लब का मुख्य भवन वही है। मुख्य भवन का इस्तेमाल भी पहले जैसा ही होता है, बस अब यहां पर ताश भी खेले जाते हैं। कुछ समय पहले बंगलोर क्लब तब चर्चा में आया, जब संपत्ति कर देने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ क्लब सुप्रीम कोर्ट गया। हांलाकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्लब को संपत्ति कर न देने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि क्लब में लोग लाभ कमाने के लिए जमा नहीं होते हैं, इसलिए उस पर संपत्ति कर देय नहीं है।

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