पंडित नेहरू के बारे में क्या आप इन साजिशों को जानते हैं?
-आप में से बहुत लोगों ने यह पढ़ा या किसी वीडियो में देखा होगा कि पंडित नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू का असली नाम गियासुद्दीन गाजी था। असल मेंं इस अफवाह के पीछे का सच यह है कि 2015 में किसी ने शरारत करते हुए विकीपीडिया पर एक सरकारी आईपी पते से बदलाव करके इस तरह की जानकारी डाल दी। जिसके बाद यह वायरल हो गई। हालांकि, बाद में विकीपीडिया ने इस जानकारी को हटा दिया।
हकीकत- ऐतिहासिक रूप से पंडित नेहरू के पूर्वज कश्मीरी पंडित थे। उनके पूर्वजों में से जिनके बारे में जानकारी मिलती है वे हैं- राज कौल। वह संस्कृत व फारसी के विद्वान थे। राज कौल का घर एक नहर के किनारे था, जिसकी वजह से उन्हें नेहरू कहा जाने लगा।
– पंडित नेहरू की छवि को एक अय्याश की दिखाने के लिए आपको इंटरनेट पर अनेक ऐसे फोटो या वीडियो मिलेंगे, जिनमें उनके बारे में तरह-तरह की बातें कही गई हैं। कुछ फोटो में वह मृणालिनी साराभाई या जैक्लीन कैनेडी के साथ दिख रहे हैं। एक में वह किसी महिला की सिगरेट जला रहे हैं। किसी वीडियो में कहा गया है कि भारत पाकिस्तान के बंटवारे की वजह एडविना माउंटबेटेन थीं, क्योंकि मोहम्मद अली जिन्ना, पंडित नेहरू और एडविना कॉलेज में सहपाठी थे।
हकीकत- पंडित नेहरू की जितनी भी गंभीर आत्मकथाएं लिखी गई हैं, उनमें साफ कहा गया है कि नेहरू के एडविना और पद्मजा नायडू से संबंध थे। एडविना की पुत्री पामेला ने अपनी मां और नेहरू के निष्काम संबंधों को स्वीकार किया है। नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित ने इंदिरा गांधी की दोस्त पुपुल जयकर से कहा था कि नेहरू और पद्मजा कई सालों तक साथ रहे। अब अगर जिन्ना, नेहरू और एडविना के सहपाठी होने के बात करें तो हकीकत यह है कि जिन्ना नेहरू से करीब 10 साल बड़े थे और नेहरू एडविना से 10 साल बड़े थे। जब नेहरू ने कॉलेज खत्म किया था तो एडविना महज नौ-दस साल की रही होंगी।
-एक और झूठ कि पंडित नेहरू का जन्म एक कोठे पर हुआ था। असल में पंडित नेहरू का जन्म इलाहाबाद में किराए के मकान 77 मीरगंज में 1889 को हुआ था। लेकिन, पंडित नेहरू के जन्म के काफी समय बाद यह जगह एक वेश्यालय के रूप में चर्चित हो गई। बाद में 1931 में इलाहाबाद नगर निगम ने इस स्थान को गिरा भी दिया। असल में 77 मीरगंज की बाद में हुई बदनामी की वजह से ही इन अफवाहों को बल मिला कि नेहरू कोठे पर पैदा हुए थे।
हकीकत- पंडित नेहरू के जन्म के कुछ समय बाद ही उनके पिता मोतीलाल नेहरू 9 एलगिन रोड पर रहने लगे थे और 1899 में वह उस घर में चले गए थे, जिसे आज स्वराज भवन कहते हैं।
हकीकत- बोस की गांधी जी व नेहरू के साथ वैचारिक असहमति तो हो सकती है, लेकिन वे एक दूसरे के जबरदस्त प्रशंसक थे। जब बोस ने जापान के समर्थन से इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया था तो उन्होंने चार ब्रिगेडों का गठन किया था, जिनमें तीन के नाम गांधी, नेहरू और मौलाना आजाद के नाम पर थे और चौथी ब्रिगेड खुद नेताजी के नाम पर थी।