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कैसे आते हैं भूकंप। दुनिया के सबसे विनाशकारी भूकंपों के बारे में जानते हैं?

हम लोगों में से अधिकतर यह जानते हैं कि भूकंप आने की वजह पृथ्वी के भीतर स्थित टेक्टोनिक प्लेटों सामान्य भाषा में कहें तो जमीन के नीचे स्थित चट्टानों का अपनी जगह से खिसकना है। हाल के दिनों ने तुर्की व सीरिया के बाद अब अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान में तीव्र भूकंप आया है। दोनों ही जगहों पर जान माल का नुकसान हुआ है। मंगलवार को अफगानिस्तान में आए ताजा भूकंप से दिल्ली समेत पूरा उत्तर भारत हिल गया। दुनिया में हल्के भूकंप लगभग रोज ही आते हैं। जापान में तो भूकंप आना सामान्य बात है, लेकिन वहां पर भूकंप के प्रति संवेदनशील जगहों पर भी लोग आम जिंदगी जीते हैं। उन्होंने अपने भवनों के साथ ही अपने रहन-सहन को इस तरह से मैनेज किया हुआ है कि तेज भूकंप में भी उनकी जानमाल को न्यूनतम क्षति हो। भूकंप से सबसे अधिक नुकसान तब होता है, जब इसका केंद्र पृथ्वी की सतह के करीब होता है। भूकंप मापने के पैमाने को रिक्टर स्केल कहते हैं। सामान्यतया पांच या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप विनाशकारी हो सकता है। लेकिन, अगर कम तीव्रता का भूकंप जमीन की सतह के बहुत करीब होता है तो भी नुकसान ज्यादा होने की आशंका रहती है।

आपको बता दें कि भारत को चार सीजमिक जोन यानी भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में बांटा गया है। ये हैं- जोन II, जोन III, जोन IV और जोन V। इनमें जोन V सर्वाधिक संवेदनशील है यानी यहां पर बड़े भूकंप की आशंका सर्वाधिक है।  देश काा 30 फीसदी हिस्सा इसी जोन में आता है।

जमीन के नीचे बड़े-बड़े पहाड़ एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। जहां पर दो पहाड़ आपस में जुड़ते हैं उस हिस्से को भूगर्भीय भाषा में फाल्ट कहा जाता है। जमीन के भीतर छोटी-छोटी चट्टानों को जोड़ने वाले ऐसे अनेक फाल्ट होते हैं, लेकिन जहां पर बहुत विशाल चट्टानें आपस में जुड़ती हैं, उन्हें मेजर फाल्ट कहा जाता है। इन फाल्टों में हलचल ही भूकंप की वजह होती है। सभी फाल्टों में हलचल हो ऐसा भी नहीं है, लेकिन कुछ फाल्ट इस दृष्टि से संवेदनशील होते हैं और ऐसे फाल्ट के ऊपर या आसपास के स्थान को ही सीजमिक जोना यानी भूकंपीय क्षेत्र कहते हैं। जो स्थान इस फाल्ट के जितना करीब होता है, वह भूकंप के प्रति उतना ही संवेदनशील होता है।हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या भूकंप की भविष्यवाणी संभव है? भूकंप कब आएगा, ऐसा तो नहीं बताया जा सकता, लेकिन कुछ संकेत ऐसे जरूर होते हैं, जो किसी बड़े भूकंप के आने का इशारा जरूर करते हैं। इसीलिए भूगर्भ वैज्ञानिक पृथ्वी के इन फाल्टों पर नजर रखते हैं और उनमें होने वाले मामूली से मामूली कंपन को नापते रहते हैं। ये कंपन ही इशारा करते हैं कि जमीन के भीतर कुछ हो रहा है और इन फाल्टों के बीच स्थैतिक ऊर्जा यानी स्टेटिक एनर्जी जमा हो रही है। स्टेटिक एनर्जी को आप ऐसे समझ सकते हैं- जब हम किसी स्प्रिंग को दबाते हैं तो उसमें स्थैतिक ऊर्जा जमा होती है, लेकिन जब उसे छोड़ दिया जाता है तो वह काइनेटिक ऊर्जा में बदल जाती है और उछल कर दूर चली जाती है। ऐसे ही इन फाल्टों के भीतर की ऊर्जा जब रिलीज होती है तो वह भूकंप के रूप में ही बाहर निकलती है।

अब हम आपको दुनिया के कुछ बड़े भूकंपों के बारे में बताते हैं। बड़े भूकंप का मतलब उसकी तीव्रता है, न कि उससे हुआ नुकसान। क्योंकि, अगर कोई तेज भूकंप ऐसी जगह पर आता है, जहां आबादी कम हो तो वहां नुकसान भी कम ही होगा।

1-दुनिया में अब तक रिकॉर्ड किया गया सबसे तेज भूकंप 9.5 तीव्रता का था। यह चिली के वल्दीविया शहर के समानान्तर था। 22 मई 1960 को आए इस भूकंप से 10 मिनट तक धरती हिलती रही थी। जिसके बाद जबरदस्त सुनामी भी आई और उसके 25 मीटर ऊंची समुद्री लहरें उठीं। प्रशांत महासागर में उठी इन लहरों ने हिलो और हवाई शहरों को बरबाद कर दिया। इस भूकंप की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि भूकंप के केंद्र से 10000 किलोमीटर दूर स्थित जापान और फिलीपींस में भी समुद्र में करीब 11 मीटर ऊंची लहरें उठी थीं। इस भूकंप में मरने वालों की सही संख्या कितनी थी, यह तो रिकॉर्ड में नहीं है, लेकिन अनुमान है कि सुनामी और भूकंप से करीब छह हजार लोगों की जान गई थी।

2-चिली में आए इस भूकंप के चार साल बादबाद 27 मार्च 1964 को अलास्का में गुड प्राइडे के दिन 9.2 तीव्रता का भूकंप आया। प्रिंस विलियम साउंड क्षेत्र में आया यह भूकंप अमेरिका में आया अब तक का सबसे तेज भूकंप है। इस भूकंप से साढ़े चार मिनट तक धरती हिलती रही थी। इस भूकंप के बाद आठ मीटर से ऊंची सुनामी लहरें उठी थीं, जिससे चेनेगा नाम का पूरा गांव डूब गया था। यहीं नहीं भूकंप के बाद समुद्र के भीतर जबरदस्त भूस्खलन होने से वाल्देर सिटी बंदरगाह ध्वस्त हो गया था।

3-हिंद महासागर में 26 दिसंबर 2004 को आए 9.1 तीव्रता के भूकंप ने 14 देशों के 2,27,898 लोगों की जान ले ली। इस भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के सुमात्रा में था। अगर हताहतों की संख्या के आधार पर बात करें तो यह आज तक आया सबसे घातक भूकंप था। इस भूकंप के बाद हिंद महासागर में 30 मीटर से ऊंची सुनामी लहरें उठी थीं, जिससे इंडोनेशिया, भारत के तमिलनाडु , श्रीलंका व थाइलैंड सहित 14 देशों में नुकसान हुआ था। सर्वाधिक मौतें इंडोनिशिया के बंदा अकेह में हुई थीं।

4- जापान के तोहुकू के पास 11 मार्च 2011 को समुद्र के भीतर आए भयंकर भूकंप ने करीब 16 हजार लोगों की जान ले ली। 9.1 तीव्रता के इस भूकंप से जापान में 40 मीटर से ऊंची सुनामी लहरें उठी। यह लहरें इतनी तेज थीं कि उन्होंने अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को ध्वस्त कर दिया और 10 किलोमीटर भीतर तक एयरपोर्ट व रेलवे लाइनों से लेकर बांध व फुकुशिमा एटोमिक रिएक्टर तक हर चीज को तहसनहस कर डाला। नुकसान के हिसाब से देखें तो यह अब तक का सबसे ताकतवर भूकंप रहा। इसने 1,27,290 भवनों को पूरी तरह, 2,72,788 भवनों को आधा नष्ट कर दिया। 7,47,989 भवनों को आंशिक नुकसान हुआ। इस भूकंप के बाद रेडिएशन रिसाव की आशंका को देखते हुए फुकुशिमा रिएक्टर को जमीन में ही दफन करना पड़ा।

5-रूस के कामचतका प्रायद्वीप में 4 नवंबर 1952 को 9 तीव्रता के भूकंप के बाद 15 मीटर से ऊंची सुनामी ने पूरे प्रायद्वीप को ही लगभग नष्ट कर दिया। इस भूकंप की तीव्रता से पेरू, चिली, न्यूजीलैंड और अमेरिका का हवाई द्वीप तक हिल गए। हवाई में इस भूकंप से भारी नुकसान हुआ, लेकिन वहां किसी की जान नहीं गई। इस भूकंप से 15 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

दुनिया में आए कुछ अन्य भूकंप-

2010 में चिली के मूले में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप और सुनामी से भारी नुकसान हुआ। इसमें 525 लोगों की मौत हुई।

1906 में इक्वाडोर में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप के बाद पांच मीटर ऊंची सुनामी लहरें उठने से सैकड़ों लोगों की मौत हुई।

1950 में भारत-तिब्बत सीमा के पास 15 अगस्त को आए 8.6 तीव्रता के भूकंप से भारी नुकसान हुआ था। भूकंप का केंद्र तिब्बत के रीमा में था। इस भूकंप में कम से कम 3000 लोगों की मौत हुई थी। भूकंप के बाद हुए भूस्खलन ने सुबनश्री नदी का बहाव रुक गया था और एक प्राकृतिक बांध बन गया था। आठ दिन के बाद जब यह बांध टूटा तो सात मीटर ऊंची लहरें उठीं और इसने रास्ते में आने वाले अनेक गांवों को तबाह कर दिया। कुल 536 लोगों की इसमें मौत हो गई।

2012 में सुमात्रा में एक बार फिर 8.6 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप का केंद्र समुद्र में अत्यंत ही भीतर होने के कारण जानमाल का नुकसान काफी कम हुआ। भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी भी दी गई, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया। दस लोगों की मौत हुई और इतने ही लोग घायल भी हुए।

 

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