रहस्य लोक के इस अंक में हम आपको को कुछ ऐसी बातों के बारे में बताएंगे, जिन्हें लोग सच मानते हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। ऐसी जानकारियां इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इस तरह से पेश की जाती हैं, जैसे वे सच हों। इनके समर्थन में अनेक तथ्य भी पेश किए जाते हैं। अगर आपको भी ऐसा ही कुछ लगता है तो एक बार इसे जरूर पढ़े, क्योंकि हम आपको वह तथ्य भी बताएंगे, जिनकी वजह से यह भ्रम पैदा हुआ है।
भारत आज भी ब्रिटिश कालोनी है? यह एक ऐसी कहानी है, जो सोशल मीडिया में बहुत चर्चित है। खुद को ज्ञानी समझने वाले लोग ताल ठोंक कर ऐसा दावा भी करते हैं। वे कहते हैं कि अंग्रेजों ने 1947 में सिर्फ भारत को छोड़ा था, लेकिन भारत आज भी अंग्रेजों का ही है। इसके समर्थन में वे कहते हैं कि जो देश राष्ट्रमंडल में हैं वे सभी ब्रिटेन की कालोनी हैं। उनका यह भी कहना है कि ब्रिटेन की महारानी को भारत आने के लिए आज भी वीजा की जरूरत नहीं है। असल में इस विचार को 1997 में उस समय और भी बल मिला, जब महारानी एलिजबेथ वीसा के बिना ही भारत आ गईं। कई लोग तो यह भी दावा करते हैं कि हमारा राष्ट्रगान मूल रूप से ब्रिटेन की महारानी के सम्मान में लिखा गीत था।
हम आपको बता दें कि भारत की स्वतंत्रता पूर्ण है और हमारा देश किसी भी अन्य देश की कालोनी नहीं है। राष्ट्रमंडल उन देशों का समूह जरूर है, जो कभी ब्रिटिश शासन के अधीन रहे। इनमें से कुछ देश आज भी ब्रिटेन की महारानी या राजा को प्रतीकात्मक रूप से अपना प्रमुख मानते हैं, लेकिन राष्ट्रमंडल के सभी देश ऐसे नहीं हैं। राष्ट्रमंडल 56 स्वतंत्र देशों का समूह है, जबकि सिर्फ इनमें 15 देश ही ऐसे हैं जिनके प्रतीकात्मक राष्ट्र प्रमुख राजा चार्ल्स हैं। इनमें ब्रिटेन के अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, एंटीगुआ और बारबुडा, बाहमास, बेलिज, जमैका, पापुआ न्यू गिनी, सेंटकिट्स, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट, सोलोमन द्वीप और तुवालू शामिल हैं।
रही बात राष्ट्रगान की तो गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर ने इसे 11 दिसंबर 1911 को बंगाली में लिखा था। मूल गीत भारोतो भाग्यो बिधाता असल में ब्रह्म समाज का एक भजन था, जिसके पांच भाग थे और इसमें से भी सिर्फ एक को ही राष्ट्रगान के रूप में लिया गया। जन गण मन… को पहली बार सार्वजनिक रूप से कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 27 दिसंबर 1911 को गाया गया था।
अब महारानी के बिना वीसा के भारत आने की बात है तो हम आपको बता दें कि ब्रिटेन की महारानी हों या अब वहां के राजा चार्ल्स हों, इनके नाम पर पासपोर्ट ही नहीं होता है। ब्रिटेन में हर पासपोर्ट राजा के नाम पर ही जारी होता है, पहले यह महारानी के नाम पर जारी होता था। इसलिए राजा या रानी को पासपोर्ट देने का कोई औचित्य नहीं माना जाता और वह बिना पासपोर्ट और वीजा के ही सारी विदेश यात्रा करते हैं। इस बारे में संबंधित देश के साथ सभी जरूरी औपचारिताओं को भी पूरा किया जाता है। आपको यह भी बता दें कि ब्रिटेन के राजा के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं होता।