समाचारलोक

क्या पुरस्कार कमेटी के उपनेता की तारीफ मोदी को दिला सकती है शांति का नोबेल?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या इस बार नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे तगड़े दावेदारों में शामिल हो गए हैं? असल में नार्वे से नोबेल शांति पुरस्कार तय करने वाली कमेटी का एक दल भारत आया है। यह कमेटी ही शांति का नोबेल पुरस्कार तय करती है। आपको बता दें कि नोबेल का शांति पुरस्कार नार्वे से और बाकी पुरस्कार स्वीडन से तय होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का नाम पुरस्कार के टॉप दावेदारों के रूप में चर्चा में आने की प्रमुख वजह इस कमेटी के उपनेता एस्ले तोइया द्वारा प्रधानमंत्री की जमकर तारीफ करना है। उनका कहना है कि मोदी जैसे नेता में आज दुनिया में शांति स्थापित करने की जबरदस्त क्षमता है। वह खुद को मोदी का फैन भी कहते हैं।

हालांकि, अभी नोबेल शांति पुरस्कार का चयन बहुत ही शुरुआती चरण में है। 2023 में इस पुरस्कार के लिए कुल 306 दावेदार हैं। इनमें 213 व्यक्ति व 93 संस्थाएं हैं। पिछले साल इस पुरस्कार के लिए 343 दावेदार थे। यह लगातार आठवां साल है, जब इस पुरस्कार के लिए दावेदारों की संख्या 300 से अधिक है। 2016 में सर्वाधिक 376 दावेदार थे। आपको बता दें कि नोबेल पुरस्कार के लिए नामित व्यक्तियों के नामों का खुलासा पचास साल बीतने के बाद ही होता है, इसलिए इस बार इस पुरस्कार की दौड़ में कौन है, यह बताया नहीं जा सकता, लेकिन एक अनुमान जरूर लगाया जा सकता है।

कोई भी जीवित व्यक्ति अथवा सक्रिय संस्था नोबेल शांति पुरस्कार के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र है। यह आवेदन संबंधित साल में 31 जनवरी तक किए जा सकते हैं। आवेदन ऑनलाइन फॉर्म के जरिये होता है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुरस्कार कमेटी अपनी पहली मीटिंग में कुछ और नाम भी जोड़ सकती है। चर्चा के बाद कमेटी सर्वाधिक उपयुक्त लोगों की सूची बनाती है। पुरस्कार के विजेता का नाम कमेटी की अक्टूबर में होने वाली अंतिम बैठक में तय किया जाता है। कमेटी की कोशिश आम सहमति से ही पुरस्कार तय करने की होती है, लेकिन अगर किसी वजह से आम सहमति नहीं बन पाती तो विजेता का नाम बहुमत के आधार पर तय होता है।

भारत आए नॉर्वे की नोबेल प्राइज कमेटी के डिप्टी लीडर एस्ले तोइया ने न्यूज चैनल से कहा कि नोबेल पीस प्राइज के लिए हमें बड़ी संख्या में भारतीय नॉमिनेशन मिल रहे हैं। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि दुनिया का हर नेता वो काम करे जो नोबेल पीस प्राइज के लिए ज़रूरी हो। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि मैं मोदी की कोशिश को फॉलो कर रहा हूं। मोदी जैसे ताकतवर नेता में शांति स्थापित करने की जबरदस्त क्षमता है। पीएम मोदी बहुत ताकतवर देश से आते हैं और उन्हें बहुत ही गंभीरता से लिया जाता है। उनमें बेहद विश्वसनीयता है। वे अपनी विश्वसनीयता और ताकत का इस्तेमाल भयावह युद्ध को रोकने में करेंगे।

एस्ले आगे कहते हैं कि पीएम मोदी ने रूस अमेरिका और चीन के राष्ट्राध्यक्षों से बात की है कि भविष्य शांति का हो ना कि युद्ध का। मुझे ख़ुशी है कि मोदी सिर्फ़ भारत को ही आगे बढ़ाने का काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन मुद्दों पर भी काम कर रहे हैं जो दुनिया में शांति के लिए ज़रूरी हैं। दुनिया को भारत से सीखने की ज़रूरत है। भारत का सुपर पावर बनना तय है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button