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सवाल- मंत्री हैं तो क्या कुछ भी कर सकते हैं?

क्या मंत्री होने का अर्थ है कि आप किसी को भी थप्पड़ मार सकते हैं? क्या अाम आदमी होने का मतलब यह है कि आप किसी मंत्री कि किसी भी बात का विरोध नहीं कर सकते? क्या आम आदमी किसी मंत्री के थप्पड़ मारने पर उसको थप्पड़ नहीं मार सकता? अगर वह एेसा करता है तो क्या वह गलत है और ऐसा करने वाला मंत्री सही है? सड़क पर एक आदमी को मारने के लिए मंत्री का दौड़कर उसके पीछे भागना और उसे मारना ठीक है? क्या पुलिस मंत्री के खिलाफ दी गई शिकायत में मंत्री का नाम नहीं लिख सकती? क्या उत्तराखंड में सरकारी अराजकता चरम पर है?

ये तो बस कुछ ही सवाल हैं, लेकिन उत्तराखंड में जनता आज यह सोचने को मजबूर है कि क्या जनप्रतिनिधि चुनने में उनसे गलती हो रही है? मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के किस्से तो जगजाहिर हैं ही, लेकिन उनके ऊपर बैठे मुख्यमंत्री धामी की मजबूरी समझ से परे है। एक के बाद एक प्रेमचंद धामी सरकार की किरकिरी करा रहे हैं और बिंदास अपने गलत कामों को ठीक बता रहे हैं। ऋषिकेश में मारपीट बीच चौराहे पर हुई। इसका वीडियो भी सामने आ गया। साफ दिख रहा है कि बातचीत कर रहे युवक को पहला थप्पड़ मंत्री प्रेमचंद ने ही मारा उसके बाद उनके सुरक्षा कर्मी उस युवक पर टूट पड़े वह युवक बचता हुआ प्रेमचंद की ओर दौड़ा और उनसे जा भिड़ा। इसके बाद तो गुस्साए मंत्री उसके पीछे दौड़ते हुए उसे पीटने लगे। इस घटना के दर्जनों चश्मदीद हैं और लाइव वीडियो भी है। इस घटना के बाद मंत्री की प्रतिक्रिया देखें तो वह और भी चौंकाने वाली है। वे अपने द्वारा और अपने सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गई मारपीट को सही बताते हैं। यहां तक वे सही हैं, क्योंकि दो लोगों की लड़ाई में हरेक खुद को ही सही कहता है। लेकिन, इसके आगे वे कहते हैं कि उनके पैसे और उन्होंने जो भी सोना चांदी पहना हुआ था, वह गायब है, वे इसका आरोप उस युवक पर लगाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे उन्होंने व उनके सुरक्षाकर्मियों ने जमकर पीटा। पूरी वीडियो देखें तो युवक तो बस पिट ही रहा है। अब मंत्री हैं तो वे कुछ भी कह सकते हैं। वे कुछ भी कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले साल चुनाव का सामना करना, लेकिन अगर उनके डबल इंजन के एक इंजन में प्रेमचंद जैसे पुर्जे लगे रहे तो वह दोनों इंजनों को पटरी से उतार सकता है। वैसे भी उत्तराखंड के पिछले साल हुए चुनावों में जनता ने मोदी के नाम पर ही भाजपा को वोट दिए थे।

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