महाराष्ट्र में फ्लोट टेस्ट कराने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने की कोश्यारी की आलोचना, ठाकरे गुट को कुछ भी नहीं हुआ हासिल
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने दूसरे फैसले में महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार को सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहने के फैसले को गलत बताया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्पाल के ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसके आधार पर वे यह फैसला ले सकें कि राज्य सरकार अल्पमत में है। कोर्ट का कहना है कि कुछ विधायकों का असंतोष फ्लोर टेस्ट कराने का आधार नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही उद्धव सरकार को बहाल करने की मांग को ठुकरा दिया। क्योंकि, ठाकरे पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। कोर्ट ने शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर कहा कि इसका फैसला स्पीकर करेंगे न कि कोर्ट। कुल मिलाकर कोर्ट के इस फैसले से राज्य की शिंदे सरकार को राहत मिली है। कोर्ट ने साथ ही शिवसेना द्वारा चुनाव आयोग के फैसले पर रोक की ठाकरे गुट की मांग को भी ठुकरा दिया।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मार्च में अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया। उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट ने पिछले साल महाराष्ट्र के संकट को लेकर एक के बाद एक कई याचिकाएं दायर की थीं। शिवसेना से अलग हुए शिंदे गुट की वैधता को ठाकरे गुट की ओर से चुनौती दी गई है। साथ ही कहा गया था कि शिंदे व 16 विधायक विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य हैं। हालांकि, जून 2022 में शिंदे ने भाजपा की मदद से सरकार बना ली थी और राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे।
ठाकरे गुट के दावे के जवाब में शिंदे गुट का कहना था कि तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नरहरि जिरवाल उनको अयोग्य नहीं ठहरा सकते थे, क्योंकि जिरवाल को हटाने का नोटिस पहले से ही लंबित था। इस समय महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 105 विधायक हैं और उसे 10 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है। वहीं शिवसेना शिंदे गुट के 40 विधायक हैं और उसे एक मनसे विधायक व सात अन्य निर्दलीयों का समर्थन हासिल है। यह संख्या 163 बनती है, जो बहुमत के 145 के आंकड़े से कहीं अधिक है। विपक्ष में राकांपा के 53, कांग्रेस के 45 और शिवसेना ठाकरे गुट के 16 व 2 सपा और दो विधायक एआईएमआईएम के हैं।