
हरियाणा के हिसार जिले की पर्वतारोही अनीता कुंडू ने हिमालय के ऊंचे पर्वतों में से एक माउंट मकालू को फतह कर लिया है। भारतीय समय के अनुसार उन्होंने सुबह 10 बजे इस शिखर को फ़तह किया। उल्लेखनीय है कि अनीता 22 अप्रैल को अपने इस मिशन पर निकली थी, 26 अप्रैल को वो दुनिया की पांचवीं सबसे ऊची चोटी माउंट मकालू (8481 मीटर) के बेस कैंप पर पहुंची, जो लगभग 6000 हजार मीटर पर है, अनीता ने सैटेलाइट फोन के माध्यम से बताया की 7500 मीटर ऊपर जाने के उपरान्त खराब मौसम ने उनका रास्ता रोका और उनको वापस लौटना पड़ा था, लेकिन अनिता ने अपने हौंसले को डगमगाने नहीं दिया व एक बार फिर उन्होंने 13 मई से अपनी चढ़ाई बेस कैंप से दोबारा शुरू की और अनेक बाधाओं व मुसीबतों का सामना करते हुए अंततः आज सुबह 10 बजे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शिखर पर लहराने में कामयाब रही। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान हवाएं बहुत तेज चलीं, कड़ाके की ठंड थी, ऑक्सीजन की कमी रही, हर कदम पर खतरा था, माउंट एवरेस्ट से भी लम्बा रास्ता था। पर हिंदुस्तान की ये बेटी हार मानने वाली नहीं थी, हर तरीके के विपरीत हालातों से जूझती रही, लड़ती रही और आगे बढ़ती रही इसके साथ ही इस साहसिक खेल पर्वतारोहण की एक बड़ी उपलब्धि देशवासियों की झोली में डालने में कामयाब रही।
उपलब्धियां: 2009 में सतोपंथ कोकस्टेट आदि हिंदुस्तान की अनेकों चोटियां फतह कीं।
– 18 मई 2013 को नेपाल के रास्ते दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा फहराया
– 2015 में फिर चीन के रास्ते से माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की
लगभग 51 दिन के कड़े संघर्ष के बाद 21 मई 2017 को चीन के रास्ते माउंट एवरेस्ट को फतह किया, इसके साथ ही अनिता नेपाल व चीन दोनों ही रास्तों से माउंट एवरेस्ट को फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला रही
– सन् 2018 में दुनिया के सातों महाद्वीपों की चढ़ाई शुरू की
अब तक अनीता एशिया की माउंट एवरेस्ट, अंटार्कटिका की विन्सन, अफ्रीका की किलिमंजारो, दक्षिणी अमेरिका की अकांकागुवा, ऑस्ट्रेलिया की कारस्टेन्स पिरामिड व यूरोप की एलबुर्स अनेकों शिखरों को फतह कर चुकी हैं इसके साथ ही 8163 मीटर ऊँची नेपाल की माउंट मनास्लू चोटी को भी फ़तह किया। माउंट लहोत्से की भी चढ़ाई की।
अब तक के ये अवॉर्ड- प्रदेश सरकार ने अनीता को नारी शक्ति पुरस्कार, कल्पना चावला अवॉर्ड, सर्वोत्तम महिला मुख्यमन्त्री अवॉर्ड से सम्मानित किया। दो साल पहले भारत सरकार ने अनिता के इन साहसिक कारनामों व उनके बेजोड़ समर्पण के लिए उनको तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से नवाजा गया।
अनिता कुंडू कहती है ” यदि कोई अपने लक्ष्य पर दृढ़ रहता है और लगातार सच्ची लगन के साथ मेहनत करता है वो कुछ भी हासिल कर सकता है, उनका ये कथन सच साबित हुआ है, अनीता की लगातार मेहनत, हौसले व दृढ़ निश्चय का ही परिणाम है कि एक ऐसे खेल में वह इतनी उपलब्धियां अपने नाम कर सकीं, जिसमे यकीनन महिलाओं की तुलना में पुरुषों का वर्चस्व रहा और हिंदुस्तान की अपेक्षा अन्य देशों का दबदबा रहा है।
मकसद- अनिता कुंडू बताती है कि वे इस खेल के माध्यम से हिंदुस्तानियों और खासकर के युवाओं को एक ही सन्देश देना चाहती है कि संघर्ष के रास्ते से मुश्किल से मुश्किल चुनौती से पार पाया जा सकता है, अपने खेल व नौकरी करने के साथ साथ अनीता ने प्रदेश व देश में सैकड़ों मोटिवेशनल कार्यक्रम किए हैं और अपना ज्यादा से ज्यादा समय बच्चों, युवाओं, व बुजुर्गों के बीच व्यतीत करने का प्रयास करती हैं। इसके साथ ही अनीता बताती हैं कि वह हरियाणा पुलिस मे इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं और इतने साल की सर्विस व दुनिया घूम कर यह पाया है कि आज का युवा संघर्ष के महत्व से कहीं न कहीं अनभिज्ञ है, जिसके कारण समाज में मानसिक अवसाद व नशे की समस्याएं बढ़ रही है इसलिए अपने जीवन के माध्यम से अनीता युवाओं को एक ही संदेश देना चाहती है कि देश का युवा जागे, अपनी विपरीत परिस्थितियों से लड़े, जूझे व उन्हीं की तरह सिर्फ मेहनत और संघर्ष का रास्ता अख्तियार करे। उन्होंने ये अभियान नशा मुक्ति अभियान के तहत किया।