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नासा के प्रिजर्वेंस रोवर ने भेजी मंगल पर कभी तेज गति से बहने वाली नदी की ताजा तस्वीर

मनुष्य की जानकारी में पृथ्वी के अलावा जिस ग्रह पर जीवन की सर्वाधिक संभावना दिखाई देती है, वह मार्स यानी मंगल है। यही वजह है कि दुनिया के तमाम देश मंगल पर मिशन भेज रहे हैं। 1960 में सबसे पहले तत्कालीन सोवियत संघ ने मंगल पर पहला मिशन भेजा, लेकिन वह असफल रहा। इसके बाद भी सोवियत संघ के मिशन एकएक करके विफल होते रहे। अमेरिका ने 1964 में पहला मंगल मिशन लांच किया, लेकिन वह विफल रहा। मंगल पर पहला सफल मिशन अमेरिका ने ही 1964 में भेजा। इसके बाद से नासा के अलावा रूस, चीन, ब्रिटेन, भारत और यूएई अनेक मिशन मंगल पर भेज चुके हैं। भारत ने 5 नवंबर 2013 को मंगल मिशन लांच किया, जो 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंच गया। भारत ने जो मिशन भेजा था, वह एक ऑर्बिटर था, यानी यह मंगल की कक्षा में रह कर चक्कर लगाता था और आंकड़े भेजता था। भारत उन गिने चुने देशों में है, जिन्हें पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचने में सफलता मिली। भारत के ऑर्बिटर ने पिछले साल 27 सितंबर तक पृथ्वी पर जानकारी भेजी, लेकिन अब उससे संपर्क खत्म हो गया है। आपको बता दें, मंगल पर जो मिशन भेजे गए हैं, उनमें ऑर्बिटर के अलावा लैंडर, जो मंगल की सतह पर उतरकर एक ही जगह से आंकड़े भेजता है, रोवर जो सतह पर घूमता है, फ्लाई बाय यानी जो सतह के ऊपर उड़ता है व हाल ही में पहला हेलीकॉप्टर भी नासा ने मंगल पर भेज दिया है। इस हेलीकॉप्टर को 30 जुलाई 2020 को नासा के प्रिजर्वेंस रोवर के साथ भेजा गया है।

प्रिजर्वेंस रोवर मंगल पर भेजा गया सबसे आधुनिक रोवर है। यह मंगल के बारे में लगातार रोचक जानकारी भेज रहा है। मंगल पर पानी मिलने की बात पुरानी हो गई है। लेकिन, प्रिजर्वेंस ने अब मंगल ग्रह पर मौजूद ऐसी नदी के चित्र भेजे हैं, जो अरबों साल पहले रौद्र रूप में बहती थी। यह नदी मंगल पर मौजूद जेजेरो क्रेटर में गिरती थी। यहां पर ही प्राचीन मार्टिन झील थी। आपको बता दें कि मंगल पर इन जगहों के नाम वैज्ञानिकों ने दिए हैं। फरवरी 2021 में मंगल पर पहुंचने के बाद प्रिजर्वेंस इस समय जेजेरो क्रेटर के भीतर ही है और उसके वातावरण की जानकारी ले रहा है। इस क्रेटर की जमीन किसी झील की सूखी तलहटी के समान है। इस रोवर ने 250 मीटर ऊंचे पंखे के आकार के तलछट की जांच शुरु की है। ऐसा लगता है कि यह किसी नदी के डेल्टा का हिस्सा है। इस रोवर ने इस पंखे के सामने वाले हिस्से की जांच कर ली है। अब वह इसके शीर्ष पर चढ़ गया है और वहां मौजूद तलछटी यानी सेडीमेंटरी चट्टानाें की जांच कर रहा है। जिससे यह पता लग सकेगा कि वहां पानी कब था और क्या किसी तरह की जीवन भी था।

प्रिजर्वेंस मिशन के एक वैज्ञानिक के मुताबिक इस रोवर से उन्हें झीलों, डेल्टा और नदियों के प्रमाण मिल रहे हैं। खास ताैर पर पंखेनुमा आकृति की वक्राकार सतहें पानी के बहने का संकेत हैं। उनके मुताबिक इस रोवर ने मंगल की जो ताजा तस्वीर भेजी है वह एक गहरी और तेज गति से बहने वाली नदी की ओर इशारा करती है। यह पहला मौका है, जब वैज्ञानिकों को इस तरह के वातावरण के प्रमाण मिले हैं। वैज्ञानिक 3 अरब साल पहले मंगल पर मौजूद विभिन्न प्रकार के जल स्रोतों को लेकर उत्सुक रहे हैं। तब मंगल का वातावरण गर्म और नम था। 2012 में भेजा गया क्यूरोसिटी रोवर भी अभी काम कर रहा है और वह इस समय गेल क्रेटर में है। जो जेजेरो से 3700 किलोमीटर दूर है। क्यूरोसिटी ने भी छोटी जलधाराओं की तस्वीरें भेजी हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है, जब मंगल पर तेज गति से बहने वाली किसी नदी का प्रमाण मिला है।

 

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