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क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई?

उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के बंदोबस्त की तैयारी जोरों पर, मुख्यमंत्री खुद हुए सक्रिय

कांवड़ यात्रा 4 जुलाई, 2023 से शुरू हो रही है। उत्‍तराखंड सरकार बेहतर तरीके से इसे संपन्‍न कराने की कोशिश में जुटी है। खुद मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी यात्रा की तैयारियों को देख रहे हैं। प्रशासन ने इस बार यात्रा में कुछ बदलाव भी किए हैं, जिसके तहत 12 फुट से ऊंची कांवड़ लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही श्रद्धालु अपने साथ त्रिशूल भी नहीं ला सकेंगे। हरिद्वार में पार्किंग से लेकर सभी व्‍यवस्‍थाओं को दुरुस्‍त किया जा रहा है। डीजे पर कोई रोक नहीं है। क्‍या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई? पहली बार कांवड़ कौन लाया था?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्‍नि के आश्रम में एक बार सहस्रबाहु आया। वह नर्मदा नदी के किनारे स्‍थित महिष्‍मति का राजा था।  सहस्रबाहु का असलीनाम कार्तवीर्य अर्जुन था। वह ऋषि दत्‍तात्रेय का शिष्‍य था और अत्‍यंत ही शूरवीर था। उसने युद्ध में रावण को भी हरा कर बंदी बना लिया था। बाद में रावण के पितामह ऋषि पुलत्‍स्‍य के आग्रह पर उसे छोड़ दिया था। उसने अपने गुरु को प्रसन्‍न करके उनके एक हजार भुजाओं का वरदान प्राप्‍त कर लिया था, जिसके बाद उसे सहस्रबाहु के नाम से जाना जाने लगा। आश्रम में पहुंचने पर ऋषि जमदग्‍नि ने उसका बहुत अच्‍छा सत्‍कार किया। सहस्रबाहु अपने सत्‍कार से बहुत प्रसन्‍न हुआ, लेकिन उसके मन में एक कुतूहल बना रहा कि जंगल में रहने वाले एक विपन्‍न ऋषि ने उसके सत्‍कार के लिए संसाधन कहां से प्राप्‍त किए। उसने अपने सैनिकों को यह रहस्‍य जानने के काम पर लगा दिया। उसके सैनिकों ने उसे बताया कि ऋषि जमदग्‍नि के पास कामधेनु नाम की गाय है, जो उनके मांगने पर उनकी हर इच्‍छा को पूर्णकर देती है।

सहस्रबाहु ने ऋषि से जबरन कामधेनु को छीन लिया और उनकी हत्‍या कर दी। जब भगवान परशुराम को इसका पता चला तो उनके क्रोध की सीमा नहीं रही और उन्‍होंने सहस्रबाहु की हजार भुजाओं को काट दिया और उसका वध कर दिया। इसके बाद उन्‍होंने मंत्रों के प्रभाव से पिता जमदग्‍नि को पुन: जीवित कर दिया। जब जमदग्‍नि को पता चला की परशुराम ने सहस्रबाहु को मार डाला तो उन्‍होंने इस पाप से मुक्‍ति के लिए परशुराम को गंगाजल लाकर भगवान शिव को चढ़ाने को कहा। पिता की आज्ञा से परशुराम गंगाजल लेकर आए और उन्‍होंने उसे भगवान शिव को अर्पित किया। इसके बाद से ही कांवड़ यात्रा का प्रचलन शुरू हुआ।

उधर, उत्‍तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार को मेला नियंत्रण भवन (सीसीआर) हरिद्वार में कांवड़ यात्रा-2023 की तैयारियों के सम्बन्ध में जन-प्रतिनिधियों, शासन के उच्चाधिकारियों एवं जिला स्तर के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय गहन समीक्षा बैठक आयोजित हुई। मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को कांवड़ मेला आरंभ होने से पूर्व सभी आवश्यक व्यवस्थायें समयबद्धता के साथ सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देश दिये कि कांवड़ यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाए। श्रद्धालु अपने मन-मस्तिष्क में देवभूमि का अच्छा सा संदेश लेकर अपने गन्तव्य को जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा साफ-सफाई की ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि हर दो-दो घण्टे में शौचालयों आदि की सफाई की जाए, जिसके लिए सम्बन्धित की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए। आपको बता दें कि कांवड़ यात्रा के

मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्किंग स्थलों पर जहां आवश्यकता हो इण्टरलांकिंग टाइल्स लगाई जाएं, ताकि पार्किंग में कीचड़ न हो तथा गाड़ियों के फंसने की समस्या पैदा न हो। उन्होंने ये भी निर्देश दिये कि जो भी सीसीटीवी लगाये जा रहे हैं, उनकी नियमित मॉनिटरिंग हो, ताकि जहां पर भी ऐसी कोई घटना सामने आती है, जिस पर सुरक्षा आदि की दृष्टि से तुरन्त निर्णय लेना है, उस पर द्रुत गति से निर्णय लिया जाये तथा वहां पर बिल्कुल भी ढिलाई न बरती जाये।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि कांवड़ यात्रा सकुशल सम्पन्न कराना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। सभी सम्बन्धित अधिकारी अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर्तव्यनिष्ठा एवं सजगता से करे। कांवड़ यात्रा मार्ग पर तथा पार्किग स्थलों पर साइनेज, प्रकाश एवं स्वच्छता आदि की भी कारगर व्यवस्था बनाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांवड़ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत जो एडवाइजरी बनाई गई है, उसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए। कांवड़ यात्रा सुव्यवस्थित हो इसके लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए, जिसमें शासन के वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी एवं कांवड़ मेले से संबंधित जिलों के अधिकारी शामिल किये जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांवड़ मेला अवधि में हरिद्वार में कांवड़ मेले से संबंधित सभी व्यवस्थाओं का पर्यवेक्षण प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु करेंगे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि पार्किंग स्थलों में पेयजल की पूर्ण व्यवस्था रखी जाए। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि कांवड़ यात्रा मार्गों पर साइनेज की पूर्ण व्यवस्था हो। कांवड़ पटरी पर विद्युत की पर्याप्त व्यवस्था हो। वन क्षेत्र में जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु चेतावनी बोर्ड लगाये जाएं। कांवड़ मेला के दौरान यात्रा रूटों का पूरा चार्ट दिया जाए। भण्डारे एवं लंगर के लिए हाइवे से दूरी पर स्थान चिन्हित किए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कांवड़ मेले के दौरान पर्वतीय जनपदों में आवश्यक सेवाओं एवं सामग्रियों को भेजने के लिए कोई परेशानी न हो। होटलों एवं दुकानों में रेट लिस्ट चस्पा की जाए। स्थानीय स्तर पर लोगों को आवागमन में अधिक परेशानी का सामना न करने पड़े।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक में अधिकारियों से नीलकण्ठ महादेव की व्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली तथा व्यवस्थाओं को चाक-चौबन्द रखने के निर्देश दिये। बैठक में हिलबाई पास रोड को खोले जाने का प्रकरण भी सामने आया। इस पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि आज ही हिलबाईपास को खोले जाने के सम्बन्ध में एनओसी जारी की जाये ताकि हिलबाई पास की मरम्मत आदि का कार्य यथासमय पूरा कर लिया जाये।

 

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