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पीएयू ने तैयार की मिलेट जैसे गेहूं की किस्म

भारत में डायबिटीज और हृदय रोग के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने कभी गरीबों का भोजन कहे जाने वाले मिलेट यानी मोटे अनाज के उत्‍पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से 2023 को मिलेट वर्ष के रूप में घोषित किया है। असल में मोटे अनाज के उत्‍पादन के लिए न तो बहुत पानी की जरूरत होती है और न ही इसमें अधिक खाद पड़ती है। कम उपजाऊ भूमि में भी इनका अच्‍छा उत्‍पादन होता है। सरकार इसे खाद्य सुरक्षा की दृष्‍टि से भी बेहतर विकल्‍प मान रही है। तमाम चिकित्‍सक भी डायबिटीज और हृदय रोग के मरीजों के साथ ही सेहत के प्रति जागरूक लोगों को गेहूं की बजाय मिलेट के अधिक से अधिक इस्‍तेमाल की सलाह देते हैं। सवाल यह है कि क्‍या मोटा अनाज यानी बाजरा, ज्‍वार व रागी गेहूं की जगह ले सकता है? हमारे देश में पिछले साल 12 लाख टन मिलेट का उत्‍पादन हुआ, जबकि गेहूं का कुल उत्‍पादन करीब 1200 लाख टन रहा। अगर कुल अनाज उत्‍पादन की बात करें तो यह लगभग 3300 लाख टन है। अब आप सोचिए कि क्‍या मोटा अनाज गेहूं की जगह ले सकता है? इस सवाल का जवाब ना ही होगा, लेकिन लुधियाना की पंजाब एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) ने इस समस्‍या का समाधान निकाल लिया है। उसने गेहूं की एक ऐसी किस्‍म पैदा की है, जिसमें मिलेट के गुण हैंं और यह हृदय व मधुमेह रोगियों के लिए बेहतर विकल्‍प हो सकता है।

पीएयू के प्‍लांट ब्रीडिंग व जेनेटिक्‍स विभाग के प्रमुख डॉ. वी.एस.सोहू के नेतृत्‍व में एक टीम ने 10 साल की मेहनत के बाद गेहूं की पीबीडब्‍लू आरएस1 किस्‍म को विकसित किया है। इस किस्‍म की खूबी यह है कि मिलेट की ही भांति यह किस्‍म शरीर में ग्‍लूकोस के स्‍तर को तेजी से नहीं बढ़ने देती। इसमें मौजूद स्‍टार्च के घुलने वाले घटक एमीलोस  और प्रतिरोधक स्‍टार्च की उच्‍च मात्रा यह सुनिश्‍चित करते हैं कि धमनियों में ग्‍लूकोस बहुत धीरे-धीरे पहुंचे। मिलेट की तरह ही यह देर से पचता है, जिससे खाने वाले को पेट भरा-भरा महसूस होता है। अगर आप सामान्‍य आटे की चार रोटियां खाते हैं तो इस गेहूं के आटे की दो से तीन रोटियों में आपको पेट भरा-भरा लगेगा।

इस गेहूं में कुल स्‍टार्च गेहूं की अन्‍य किस्‍मों के समान ही 66 से 70 फीसदी तक होता है, लेकिन इसमें प्रतिरोधक स्‍टार्च की मात्रा 30.3 फीसदी होती है, जबकि अन्‍य किस्‍मों में यह सात से 10 फीसदी तक होती है। यही नहीं पीबीडब्‍लू आरएस1 किस्‍म में स्‍टार्च के घुलने वाले घटक एमिलोस की मात्रा 56.63 फीसदी होती, जबकि सामान्‍य किस्‍मों में यह 21 से 22 फीसदी तक होती है। इस वजह से गेहूं कि यह किस्‍म अन्‍य किस्‍मों की तरह शरीर में शुगर के स्‍तर को तेजी से नहीं बढ़ाती है। यही नहीं इससे डाइट से जुड़ीं डायबिटीज व मोटापा जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है। गेहूं की यह किस्‍म गुणों के मामले में बहुत हद तक मोटे अनाज के समान है, जिससे यह वह सभी लाभ देती है, जो मिलेट खाने से मिलते हैं। इस आटे से बने बिस्‍कुट भी हेल्‍दी होते हैं। इस किस्‍म की एक ही कमी है कि इसकी उत्‍पादकता सामान्‍य गेहूं के मुकाबले कम है। लेकिन, इसके गुणों को देखते हुए लोग इसकी अधिक कीमत भी दे सकते हैं। पीएयू इस साल सितंबर से इस किस्‍म के बीज भी किसानों को उपलब्‍ध कराएगा।

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