उत्तराखंड

हरिद्वार के बाढ़ वाले इलाके आपदाग्रस्त घोषित, तीन माह नहीं होगी बिजली-पानी के बिल और कर्जों की वसूली

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को हरिद्वार में जलभराव की स्थिति की समीक्षा के बाद अनेक महत्तवपूर्ण घोषणाएं की। उन्‍होंने कहा कि हरिद्वार जिले के जिन क्षेत्रों में पिछले दिनों भारी वर्षा से जलभराव हुआ है या बाढ़ आई है, उनको आपदा क्षेत्र घोषित किया जाएगा। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आगामी तीन माह तक विद्युत, जल, अन्य सरकारी देय एवं ऋणों की वसूली को स्थगित रखा जाएगा। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में तीव्रता से सघन व्यापक सर्वेक्षण कराकर मानकानुसार तत्काल राहत राशि का वितरण सुनिश्चित कराया जाएगा।

भविष्य में इस तरह की आपदा को रोकने एवं बचाव के लिए बाढ़ प्रबन्धन योजना पर कार्य किया जाएगा। जिसमें जल निकासी की व्यापक योजना तैयार कर कार्य कराना जाना एवं आवश्यकतानुसार छोटे पुलियों का निर्माण कराया जाना सम्मिलित है। नदियों को चैनेलाइज कराने का कार्य भी कराया जाएगा। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार स्थायी बाढ़ राहत केन्द्रों का निर्माण कराया जाएगा।

इससे पहले मुख्यमंत्री धामी ने शुक्रवार को डामकोठी में जनपद हरिद्वार में हुए जलभराव के सम्बन्ध में राहत एवं बचाव कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने उच्चाधिकारियों के साथ इस सम्बन्ध में विचार-विमर्श कर निरंतर स्थिति पर नजर रखने को कहा। मुख्यमंत्री ने बैठक में पेयजल, स्वास्थ्य, संचार, विद्युत आदि व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी प्राप्त की तथा निर्देश दिये कि जलभराव वाले क्षेत्रों में सभी व्यवस्थायें सामान्य रूप से संचालित हों, यह सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने जलभराव की वजह से फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान किए जाने पर भी ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल भराव के कारण पशुओं के लिए चारा आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जाय तथा चारे का पर्याप्त स्टॉक भी रखा जाए। बैठक में अतिक्रमण की वजह से भी कई जगह हुए जलभराव के सम्बन्ध में विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। इस पर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जहां पर भी अतिक्रमण की वजह से दिक्कतें सामने आ रही हैं, आपदा के अन्तर्गत उससे सख्ती से निपटा जाए।

 

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल से ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में हुई कुल बरसात के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने बताया कि लक्सर, रुड़की आदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव के कार्यों में एसडीआरएफ, जल पुलिस, राजस्व, फायर ब्रिगेट, पुलिस, विभागीय टीम तथा स्वैच्छिक संगठनों सहित 579 सदस्स्यों की कुल 34 टीमें निरन्तर कार्य कर रही हैं तथा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय निकाय, पंचायती राज विभाग द्वारा इन प्रभावित क्षेत्रों में महामारी फैलने से बचाव हेतु बड़े पैमाने पर कीट नाशक का छिड़काव किया जा रहा है, जो हमारे लिये चुनौती भी है। दवाओं का प्रोक्यूरमेंट हमने कर दिया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों में राहत किट, भोजन आदि वितरित किये जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि हरिद्वार, रुड़की, लक्सर तथा भगवानपुर के बाढ़ प्रभावित शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावित परिवारों को गृह अनुदान, अनुग्रह अनुदान व अहेतुक मद से 860 लाभार्थियों को 36.27 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि जनपद में जल भराव से 15796 व्यक्ति प्रभावित हुए हैं, जिनमें से कई लोग तो रिश्तेदारों व किराये के मकान में शिफ्ट हुए हैं तथा 81 परिवारों को राहत केन्द्र में शिफ्ट किया गया है।

जिलाधिकारी ने बैठक में बताया कि सबसे ज्यादा नुकसान लोक निर्माण विभाग की 52 सम्पत्तियों को हुआ है, जिनमें सभी जगह कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है तथा कार्यदायी सभी संस्थाओं को एडवांस में धनराशि उपलब्ध करा दी गयी है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री राहत कोष, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि के माध्यम से जल भराव वाले प्रभावित लोगों की पूरी मदद की जा रही है। बैठक में मुख्यमंत्री को रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, भगवानपुर विधायक ममता राकेश, लक्सर विधायक शहजाद, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, पूर्व विधायक लक्सर संजय गुप्ता, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री किरण चैधरी, भाजपा रुड़की जिला अध्यक्ष शोभाराम प्रजापति आदि ने अपने-अपने क्षेत्रों की स्थिति से  अवगत कराया।

 

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