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सुरंग में फंसे 41 लोगों ने 18वें दिन देखी सूर्य की पहली किरण

सदी के सबसे कठिन बचाव अभियान के बाद उत्‍तरकाशी के सिल्‍कियारा में पिछले 17 दिन से सुरंग में फंसे सभी 41 लोग आखिरकार मंगलवार रात सुरक्षित बाहर आ ही गए। ऑगर मशीन के हेड को बाहर निकालने के बाद सोमवार से चूहे की तरह हाथों से खुदाई यानी रैट होल माइनिंग हो रही थी। मंगलवार दोपहर बाद करीब दो बजकर पांच मिनट पर उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने एक्‍स पर ट्वीट करके खुदाई पूरी होने की बात कही और इसके कुछ देर बाद वह खुद भी सुरंग पर पहुंच गए। उनके साथ केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी वहां पहुंचे। इससे पहले दर्जनों की संख्‍या में एंबुलेंसों के मौके पर पहुंचने और एनडीआरएफ की टीम के सुरंग के भीतर जाने के बाद इस बात के अनुमान लगने लगे थे कि अच्‍छी खबर अब दूर नहीं है। लेकिन, पहले मजदूर के सुरंग से बाहर निकलने में करीब छह घंटे का समय लग गया। रात को आठ बजे से कुछ ही पहले पहले मजदूर को बाहर निकाला गया। असल में खुदाई पूरी होने के बाद पाइप को सुरंग में मलबे के आर-पार पहुंचाने और रास्‍ते को सुगम बनाने में काफी समय लगा। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पुली वाली स्‍ट्रेचर का इस्‍तेमाल किया गया।

एक-एक करके मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने के बाद उनका मेडिकल परीक्षण सुरंग के भीतर बनाए गए अस्‍थायी चिकित्‍सा कक्ष में किया गया और उसके बाद उन्‍हें तुरंत ही चिन्‍यालीसौड़ के अस्‍पताल ले जाया गया। वहां पर उन्‍हें कुछ समय तक ऑब्‍जर्वेशन में रखा जाएगा। हालांकि, चिकित्‍सक और मनोचिकित्‍सक लगातार इन लोगों से बात कर रहे थे और उन्‍हें जरूरी दवाएं और सलाह भी दे रहे थे। लेकिन, एक लंबे समय तक सुरंग में कैद रहने की वजह से कई लोगों की मनोदशा पर असर पड़ता है, जिससे उनके व्‍यवहार में अंतर आ जाता है। ऐसी सभी बातों को चिकित्‍सक नोट करेंगे और जो जरूरी होगा वैसा इलाज अथवा दवा दी जाएगी। 41 बेड का अस्‍थायी अस्‍पताल पहले ही तैयार किया जा चुका था। हालांकि, यहां पर बाहर आए सभी मजदूर शारीरिक रूप से स्‍वस्‍थ हैं।

सुरंग से बाहर आने के बाद मजदूरों का माला पहनाकर खुद मुख्‍यमंत्री धामी और जनरल रि. वीके सिंह ने स्‍वागत किया। अनेक मजदूरों के परिजन मौके पर मौजूद थे। अपने प्रियजन को सकुशल आता देखकर उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। 17 दिन तक मजदूरों को बाहर निकालने के लिए चला यह ऑपरेशन खासा जटिल था। राहत की बात यह थी कि इन मजदूरों के पास पहले ही दिन से हवा यानी ऑक्‍सीजन व पानी की उपलब्‍धता थी। बचाव टीम ने शुरू में पहले से मौजूद पाइप का इस्‍तेमाल करके उससे सूखा भोजन व मेवा आदि भी इन मजदूरों तक पहुंचा दिया। सबसे बड़ी राहत उनके साथ वॉकी टॉकी से संपर्क होने से मिली। इससे जहां पूरे अभियान को संचालित करने में सहायता मिली, वहीं फंसे हुए मजदूरों को भी बचाव कार्यों की जानकारी मिलती रही और उनका मनोबल ऊंचा बना रहा।

सिलकयारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अभियान में जुटे समस्त बचाव दल को अपनी शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा की श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरों की खुशी ही मेरे लिए इगास बग्वाल है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बचाव दल की तत्परता, टेक्नोलॉजी के सहयोग, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिक बंधुओं की जीवटता, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा की जा रही पल- पल निगरानी और बौखनाग देवता की कृपा से यह अभियान सफल हुआ। मुख्यमंत्री ने जरुरी होने पर श्रमिकों को उच्च कोटि की चिकित्सा सुविधा देने के उन्होंने आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन मेरे लिए बड़ी खुशी का दिन है। जितनी प्रसन्नता श्रमिक बंधुओं और उनके परिजनों को है, उतनी ही प्रसन्नता आज मुझे भी हो रही है। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य का मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं। जिन्होंने देवदूत बनकर इस अभियान को सफल बनाया। उन्होंने कहा कि सही मायनों में हमें आज ईगास पर्व की खुशी मिली है। उन्होंने कहा कि भगवान बौख नाग देवता पर हमें विश्वास था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञ इस अभियान में लगे थे। प्रधानमंत्री जी ने पल-पल इस अभियान की निगरानी की। उनके मार्गदर्शन में बेहतरीन समन्वय ने असंभव को संभव में बदला। उन्होंने अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य के प्रति भी आभार प्रकट किया।

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