सेबी ने निवेशकों के डीमैट खातों में प्रतिभूतियों के सीधे भुगतान को अनिवार्य बनाने से जुड़े दिशानिर्देशों को लागू करने की समयसीमा 11 नवंबर तक बढ़ा दी। इसके तहत परिचालन दक्षता में सुधार और जोखिम को कम करने के लिए समाशोधन निगम को प्रतिभूतियों को सीधे ग्राहक के डीमैट खाते में जमा करने को अनिवार्य किया गया था।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों के डीमैट खातों में प्रतिभूतियों के सीधे भुगतान को अनिवार्य बनाने से जुड़े दिशानिर्देशों को लागू करने की समयसीमा 11 नवंबर तक बढ़ा दी। यह नियम मूल रूप से 14 अक्टूबर से प्रभावी होना था। सेबी ने पांच जून एक परिपत्र जारी किया था। इसके तहत परिचालन दक्षता में सुधार और जोखिम को कम करने के लिए समाशोधन निगम को प्रतिभूतियों को सीधे ग्राहक के डीमैट खाते में जमा करने को अनिवार्य किया गया था। फिलहाल समाशोधन निगम प्रतिभूतियों के भुगतान को ‘ब्रोकर’ के खाते में जमा करता है।
उसके बाद ‘ब्रोकर’ इसे संबंधित निवेशक के डीमैट खातों में जमा करता है। इस संदर्भ में समाशोधन निगम को अंतिम परिचालन दिशानिर्देश पांच अगस्त तक जारी करना था। हालांकि, ब्रोकर्स इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स फोरम (ब्रोकर्स आईएसएफ) में व्यापक परामर्श के कारण अगस्त के अंत में इसे जारी किया गया। बृहस्पतिवार को जारी परिपत्र के अनुसार, सेबी ने समीक्षा बैठक और ब्रोकर मंच के प्रतिवेदन के बाद बाजार में बिना किसी समस्या के सुचारू बदलाव सुनिश्चित करने के लिए नियम लागू करने की तारीख 11 नवंबर तक बढ़ा दी।