
भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 2024-25 में 96% से अधिक घटकर केवल 353 मिलियन डॉलर रह गया, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा कहीं अधिक था. यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों में सामने आई है. शुद्ध एफडीआई मूल रूप से सकल एफडीआई होता है यानी भारत में कुल आने वाला निवेश, जिसमें से विदेशी कंपनियों द्वारा भारत से अपने देश को भेजी गई रकम और भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में किए गए निवेश को घटा दिया जाता है. हालांकि भारत में सकल एफडीआई मजबूत बना रहा, लेकिन शुद्ध एफडीआई में भारी गिरावट देखने को मिली, क्योंकि भारत में कारोबार कर रही विदेशी कंपनियों द्वारा अपने मुनाफे की बड़ी मात्रा अपने देशों को भेजी गई और साथ ही भारतीय कंपनियों ने भी विदेशों में निवेश को काफी बढ़ाया. आरबीआई के मासिक बुलेटिन के मई संस्करण में जारी आंकड़ों के अनुसार कोविड महामारी के बाद से ही विदेशी कंपनियों भारत से पैसा विदेश ले जा रही हैं और भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी निवेश ने भारत के शुद्ध FDI में गिरावट लाने में अहम भूमिका निभाई है.
शुद्ध एफडीआई का प्रवाह
44 अरब डॉलर था 2020-21 के महामारी वर्ष में शुद्ध एफडीआई
38.6 अरब डॉलर रह गया यह 2021-22 में घटकर
28 अरब डॉलर रहा यह 2022-23 में
10.1 अरब डॉलर था यह 2023-24 में
353 मिलियन डॉलर (0.4 अरब डॉलर) रह गया 2024-25 में
विदेशी कंपनियों के पैसा भेजने से घटा नेट FDI
भारत में कारोबार कर रही विदेशी कंपनियों द्वारा अपने देश भेजा गया पैसा व यह किया गया विनिवेश 2024-25 में बढ़कर 51.5 अरब डॉलर रहा. जो कम से कम पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक है. 2023-24 यह आंकड़ा 44.5 अरब डॉलर था. इसका सीधा मतलब है कि देश में कुल एफडीआई 51.5 अरब डॉलर + शुद्ध एफडीआई (.4 अरब डॉलर) यानी 51.9 अरब डॉलर रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक मजबूत बाजार का संकेत है, जहां विदेशी निवेशक आसानी से प्रवेश और निकास कर सकते हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है. दूसरी ओर देश में सकल निवेश मजबूत बना रहा, जो 2024-25 में बढ़कर 81 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 71.3 अरब डॉलर और 2022-23 में 71.4 अरब डॉलर था.
भारतीय कंपनियों का विदेश में निवेश बढ़ा
आरबीआई ने आगे कहा कि सकल एफडीआई का 60% से अधिक हिस्सा निर्माण, वित्तीय सेवाओं, बिजली व अन्य ऊर्जा और संचार सेवाओं जैसे क्षेत्रों में केंद्रित रहा. इस दौरान सिंगापुर, मॉरीशस, यूएई, नीदरलैंड और अमेरिका से 75% से अधिक निवेश प्राप्त हुआ. भारत के शुद्ध एफडीआई को नीचे धकेलने वाला एक और बड़ा कारण भारतीय कंपनियों द्वारा किया गया विदेशी निवेश रहा. 2024-25 में भारतीय कंपनियों ने कुल 29.2 अरब डॉलर विदेशों में निवेश किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 75% अधिक है. भारतीय कंपनियों का विदेश में निवेश का आधे से अधिक हिस्सा सिंगापुर, अमेरिका, यूएई, मॉरीशस और नीदरलैंड में हुआ. क्षेत्रीय विश्लेषण से पता चलता है कि इस वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान वित्तीय, बैंकिंग व बीमा सेवाओं का रहा, इसके बाद निर्माण और थोक व खुदरा व्यापार, रेस्टोरेंट्स और होटल सेक्टर का योगदान रहा, जिसने 90% से अधिक वृद्धि दर्ज की.