दुनिया में कहां आएगा सबसे पहले नया साल और भारत में कहां पड़ेगी सूरज की पहली किरण?
कुछ ही घंटों के बाद हम 2023 में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे समय में हमारे मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि दुनिया में सबसे पहले नया साल कहां आता है, यानी नए साल के सूर्य की पहली किरण कहां पड़ेगी या यह भी कह सकते हैं कि किस देश में घड़ी सबसे पहले रात के 12 बजाएगी? यह ऐसे सवाल हैं, जिन पर दुनिया में एक राय नहीं है, क्योंकि सबसे पहले नया साल आने को लेकर सभी के पास अपने-अपने तर्क हैं। हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों है और सबसे पहले नया साल कहां आता है। असल में कल यानी 31 दिसंबर को जब पूरी दुनिया 2022 का सूरज डूबने का इंतजार कर रही होगी तो दुनिया के सुदूर पूर्वी हिस्से के एक छोटे से द्वीप किरिबाती गणराज्य में नए साल का जश्न भी शुरू हो गया होगा। यह द्वीप दुनिया के कुछ ऐसी जगहों पर है, जहां सबसे पहले सूर्योदय होता है। अब अगर आप यह जानना चाहते हैं कि भारत में कहां पर नए साल का सूर्य सबसे पहले निकलेगा तो हम आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के डोंग में सबसे पहले नए साल का सूर्योदय होगा। जबकि गुजरात के गुहर मोती में सबसे आखिर में सूर्योदय होगा।
असल में 1995 से पहले किरिबाती इंटरनेशनल डेटलाइन के पूर्व और पश्चिम के द्वीप समूहों के बीच फंसा हुआ था, जहां पर 24 घंटे का समय का अंतर था। इस वजह से उसे हर सप्ताह पूर्व और पश्चिम के द्वीपों के साथ काम करने के लिए सिर्फ चार ही कामकाजी दिन मिल पाते थे। इस स्थिति को समाप्त करने के लिए किरिबाती के राष्ट्रपति ने 1 जनवरी 1995 को घोषणा की अब उनके देश के चारों ओर जाने के लिए अंतरराष्ट्रीय डेटलाइन को पूर्व की ओर जाना होगा, इससे किरिबाती उगते सूरज की किरणों को स्वागत करने वाला पहला देश बन गया। इंटरनेशनल डेटलाइन को मोड़ने से यूटीसी+14 नाम का एक नया टाइम जोन भी अस्तित्व में आ गया। किरिबाती का अनुसरण करते हुए एक अन्य द्वीप टोंगा ने भी अपने समय को यूटीसी+14 कर दिया। यही नहीं 29 दिसंबर 2011 को एक अन्य द्वीप समोआ ने भी इंटरनेशनल डेटलाइन को अपने देश एक ओर से दूसरी ओर कर दिया, जिससे उसका समय यूटीसी-11 से यूटीसी+13 हो गया, समोआ के फैसले से प्रभावित होकर टोकेलौ ने भी अपने टाइम को यूटीसी-11 से यूटीसी+13 कर दिया। हालांकि, कोई भी देश अपने टाइम जोन को तय करने के लिए अधिकृत है, लेकिन अनेक देश आज भी इस बदलाव को नहीं मानते हैं। अंतरराष्ट्रीय डेट लाइन अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत निर्धारित होती है, लेकिन इसके बारे में कोई भी अधिकृत संधि नहीं है। देश किसी भी टाइम जोन को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। इसी वजह से अनेक छोटे-छोटे देशों में सबसे पहले नया साल आने को लेकर विवाद है।
फिजी और न्यूजीलैंड में नए साल के समय दिन के प्रकाश को बचाने के लिए समय को यूटीसी+13 कर दिया जाता है। जिसकी वजह से यहां पर नया साल किरिबाती से एक घंटे के बाद आता है। लेकिन एक तथ्य यह भी है कि किरिबाती में नया साल भले ही पहले आता हो, लेकिन नए साल के सूय की पहली किरण न्यूजीलैंड के ईस्ट केप में सबसे पहले दिखती हैं। ऐस पृथ्वी के वक्र की वजह से होता है।