समाचारलोक

पद्म पुरस्कारों के बारे में ये रोचक बातें जानते हैं आप?

अब तक कितनी बार नहीं दिए गए पद्म पुरस्कार, पहले क्यों नहीं दिया जाता पद्म भूषण व पद्म श्री

हाल ही में 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है। अनेक प्रमुख लोगों को यह पुरस्कार मिला है। हर साल कुछ नाम ऐसे होते हैं, जिन पर विवाद होता है और अनेक नाम ऐसे होते हैं, जो भीतर से गर्व की अनुभूति कराते हैं कि हमारे देश में ऐसे लोग भी काम कर रहे हैं। हम किसी खास नाम की इस बारे में चर्चा नहीं कर रहे हैं। लेकिन, यह उत्सुकता हरेक के मन में रहती है कि पद्म पुरस्कार के लिए चयन कैसे होता है? क्या मैं अपने नाम को पद्म पुरस्कार के लिए नामित कर सकता हूं? अनेक लोग अपने नाम के आगे पद्म श्री भी लिख लेते हैं, क्या ऐसा करना चाहिए?

हम आपके ऐसे सभी सवालों का जवाब देने के साथ ही सबसे पहले आपको बता दें कि देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न है। 1954 में सरकार ने भारत रत्न और पद्म विभूषण सम्मान देने की घोषणा की थी। पद्म विभूषण को तीन वर्गों प्रथम वर्ग, द्वितीय वर्ग और तृतीय वर्ग में विभाजित किया गया था। लेकिन एक साल बाद ही राष्ट्रपति ने 8 जनवरी 1955 को सभी वर्ग समाप्त करते हुए इनका नाम पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री कर दिया।

भारत रत्न की घोषणा भी 25 जनवरी को पद्म पुरस्कारों के साथ ही होती है, लेकिन यह पुरस्कार पद्म पुरस्कारों से अलग हैं। किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा अथवा प्रदर्शन के लिए इसे प्रदान किया जाता है। भारत रत्न के लिए प्रधानमंत्री ही राष्ट्रपति को संस्तुति करते हैं। इसके लिए किसी तरह की औपचारिक सिफारिश की जरूरत नहीं होती है। किसी एक साल में अधिकतम तीन लोगों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। यह पुरस्कार अभी तक सिर्फ 45 लोगों को ही दिया गया है। 2023 में किसी को भी भारत रत्न के लिए नहीं चुना गया।

पद्म विभूषण किसी भी क्षेत्र में असाधारण और उत्कृष्ट सेवा के लिए, पद्म भूषण अत्यंत उत्कृष्ट सेवा के लिए और पद्म श्री उत्कृष्ट सेवा के लिए दिया जाता है। 1955 में जब से यह पुरस्कार शुरू हुए हैं, इन्हें सिर्फ 1978, 1979 व 1993, 1994, 1995, 1996 और 1997 में नहीं दिया गया था। पहली बार इन पुरस्कारों को सरकारों में बदलाव की वजह से और दूसरी बार इन पुरस्कारों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका के लंबित रहने की वजह से नहीं दिया गया। इन पुरस्कारों को 13 फरवरी 1992 को केरल हाईकोर्ट में बालाजी राघवन और 24 अगस्त 1992 को सत्यपाल आनंद ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

ये पुरस्कार कला यानी संगीत, चित्रकारी, मूर्तिकला, फोटोग्राफी, सिनेमा व थिएटर,  सामाजिक कार्य यानी समाज सेवा, धर्मार्थ सेवाएं अथवा सामाजिक परियोजनाओं में योगदान, सार्वजनिक मामले यानी कानून, सामाजिक जीवन व राजनीति, विज्ञान और इंजीनियरिंग यानी अंतरिक्ष इंजीनियरिंग, नाभिकीय विज्ञान, सूचना तकनीक, वैज्ञानिक अनुसंधान व विकास, व्यापार और उद्योग यानी बैंकिंग, आर्थिक गतिविधियां, प्रबधन व पर्यटन और व्यापार का विकास, मेडिसिन यानी मेडिकल रिसर्च, आयुर्वेद, होम्योपैथी, एलोपैथी व नैचुरोपैथी में विशेषज्ञता, साहित्य व शिक्षा यानी पत्रकारिता, शिक्षण, किताब लिखना, साहित्य, कविता, शिक्षा व शैक्षिक सुधारों को बढ़ावा देना, सिविल सेवा यानी सरकारी सेवकों द्वारा प्रबंधन में उत्कृष्टता, खेल व अन्य विषय जिनमें भारतीय संस्कृति व मानवाधिकारों के विकास के लिए कार्य हुआ हो व वन्य जीवन जैसे विषयों में दिए जाते हैं।

अब हम आपको बताते हैं कि इन पुरस्कारों के लिए चयन कैसे होता है। सामान्य तौर पर हर साल 1 मई से 15 सितंबर के बीच सभी राज्यों, मंत्रालयों के साथ ही भारत रत्न और पद्म विभूषण पाने वालों और उत्कृट संस्थानों से पुरस्कार के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री, सांसद, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, आम लोग और संस्थाएं भी पुरस्कारों के लिए नामांकन करते हैं।

अगर आपको लगता है कि आप पुरस्कार पाने की योग्यता रखते हैं तो आप खुद भी अपने को नामित कर सकते हैं। सरकारी कर्मचारी खुद को इसके लिए नामित नहीं कर सकते। हालांकि सरकारी डॉक्टरों पर ऐसी कोई बंदिश नहीं है।

जब इन पुरस्कारों के लिए सिफारिशें प्राप्त हो जाती हैं तो उनको पुरस्कार चयन के लिए गठित कमेटी के समक्ष रखा जाता है। इस कमेटी का गठन हर साल प्रधानमंत्री करते हैं। पुरस्कार के लिए चयनित व्यक्ति का सत्यापन जांच एजेंसियों द्वारा किया जाता है। चयन कमेटी की सिफारिशें प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को स्वीकृति के लिए भेजी जाती हैं।

इन पुरस्कारों को मृत्योपरांत देने का प्रावधान नहीं है, लेकिन खास स्थितियों में ऐसा किया जा सकता है। अापने देखा होगा कि अनेक दिग्गज लोगों को यह पुरस्कार उनकी मौत के बाद भी दिया गया है। पुरस्कारों की घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर होती है, लेेिकन जिस दिन राष्ट्रपति इन पुरस्कारों को प्रदान करते हैं, उसी दिन से पुरस्कार पाने वालों का नाम सरकारी गजट में दर्ज होता है। किसी भी साल 120 से अधिक लोगों को यह पुरस्कार नहीं दिए जा सकते। मृत्योपरांत और विदेशी श्रेणी वाले पुरस्कार इससे अलग हैं। सरकार ने 2023 के लिए भी सात लोगों को मृत्योपरांत यह पुरस्कार दिया है।

पद्म पुरस्कार किसी भी तरह की उपाधि नहीं है, इसलिए इन्हें नाम के आगे नहीं लगाया जा सकता। हालांकि, पद्म पुरस्कार के रूप में दिए जाने वाले मेडल की एक छोटी प्रतिकृति सभी लोगों को दी जाती है, जिन्हें वे किसी सरकारी समारोह या अन्य खास मौकों पर धारण कर सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button