विज्ञान के क्षेत्र में जबरदस्त तरक्की के बावजूद दुनिया में आज भी अनेक ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में आम आदमी आज भी जानना चाहता है। इन रहस्यों के बारे में कोई भी खबर उसे रोमांचित ही करती है। ऐसा ही रहस्य है यूएफओ यानी अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑबजेक्ट। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि हम इसे आज तक पहचान नहीं सके हैं। भारत में हम इसे उड़नतश्तरी कहते हैं, क्योंकि यह तश्तरी जैसी दिखती है। हालांकि अब यह अन्य आकार में भी दिखने लगी है। हम आपको कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बताएंगे, जहां पर ये यूएफओ दिखना बहुत ही आम बात है और इसके चश्मदीद भी मौजूद हैं।
सबसे पहले भारत की ही बात करते हैं तो भारत-चीन सीमा पर कोंगका ला दर्रा एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में यह माना जाता है कि यहां पर एलियन का यूएफओ बेस स्थित है। दावा यहां तक है कि भारत और चीन दोनों देशों को इसके बारे में पता भी है। असल में जिस जगह पर इस बेस के होने की बात कही जाती है, वह लद्दाख और चीन के कब्जे वाले अक्साई चीन के बीच का वह स्थान है, जिसे नोमैंस लैंड कहा जाता है। दोनों ही देश इस जगह पर नहीं जाते हैं। हालांकि 1962 में दोनों देश इस क्षेत्र में युद्ध लड़ चुके हैं। 2012 में भारतीय सेना व आईटीबीपी ने कोंगका ला में इन न पहचानी जाने वाली उड़ने वाली चीजों को देखा। यहां तैनात आईटीबीपी की यूनिट ने 1 अगस्त से 15 अक्टूबर 2012 में कम से कम 150 ऐसी चमकदार वस्तुओं के दिखने की रिपोर्ट सरकार को दी। यही नहीं ये चीजें तीन से पांच घंटे तक हवा में घूमती रहीं और फिर गायब हो गईं। इन्हें दिन और रात दोनों ही समय देखा गया। आईटीबीपी ने इन चीजों के फोटो भी लिए, लेकिन वे बहुत ही धुंधले थे। इन फोटो को देखने के बाद विशेषज्ञों ने साफ कर दिया था कि ये न तो यूएवी या ड्रोन हैं और न ही कम ऊंचाई वाले उपग्रह। राडार लगाने और अनेक उपकरणों के इस्तेमाल के बाद भी यह स्थापित नहीं हो सका कि ये चीजें आखिर हैं क्या। असल में यह इलाका बहुत ही दुर्गम है और छह महीने बर्फ से ढंका रहता है। यहां पर मानव की उपस्थित भी न के बराबर है। दावा तो यहां तक किया जाता है कि नासा ने भी इस जगह पर यूएफओ की तस्वीर खींची हैं। अब भी इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
अब भारत से बाहर चलते हैं। चिली का सैन क्लेमेंटे एक ऐसा शहर है, जिसे यूएफओ की राजधानी का दर्जा हासिल है। यहां पर काम कर रहे रिसर्चरों का दावा है कि यहां औसतन सप्ताह में एक बार यूएफओ के दर्शन हो जाते हैं। यहां पर यूएफओ दिखना इतना आम है कि चिली के पर्यटन विभाग ने 2008 में यहां पर आठ किलोमीटर लंबा यूएफओ गलियारा ही स्थापित कर दिया। पर्यटक इस गलियारे में स्थपित जगहों का दर्शन करते हुए एंडीज पर्वत तक पहुंचते हैं, जहां पर अनेक को इन यूएफओ के दर्शन हो जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के स्टुअर्ट हाईवे के साथ लग वेक्लिफ वेल को भी देश की यूएफओ राजधानी का दर्जा हासिल है। यहां पर यूएफओ का दिखना इतना आम है कि वेक्लिफ वेल पार्क में एलियन थीम पर आधारित पूरा एक जंक्शन है। यह दुनिया में यूएफओ दिखने वाली टॉप पांच जगहों में शामिल है। मई से अक्टूबर के बीच यहां बड़ी संख्या में लोग यूएफओ देखने के लिए आते हैं। लोग अपनी दूरबीन लेकर यहां बने केबिनों में कई-कई दिन रहते हैं। यूएफओ सीजन के दौरान स्थानीय लोग हर तीसरे दिन अनजान चीजों को देखने का दावा करते हैं।
यूएफओ को लेकर अमेरिका के नेवादा में स्थित एरिया 51 की सबसे अधिक चर्चा होती है। लास वेगास से 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमेरिका के इस सैन्य प्रतिष्ठान के बारे में अनेक कहानियां प्रचलित हैं। इस पर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं। दावा किया जाता है कि अमेरिका के रोसवेल में दुर्घटनाग्रस्त हुई उड़नतश्तरी के अवशेष भी यहां पर ही है। यही नहीं यहां पर दूसरे ग्रह के जिंदा व मरे हुए एलियन भी रखे हुए हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यहां पर एलियनों की विमान की तकनीक पर आधारित विमान बनाने का भी काम हो रहा है। यूएफओ के बारे में काम कर रहे कई लोगों का तो यह भी दावा है कि अमेरिका ने पपूस पर्वत के नीचे एक गुप्त स्थान पर भी दूसरे ग्रह के लोगों को रखा हुआ है। यहां के बारे में लोगों की चर्चा की एक बड़ी वजह इस स्थान को अति गोपनीय रखा जाना भी है। यहां पर लोग हाइवे से आ सकते हैं। इस पूरे हाइवे पर आपको एलियन व यूएफओ से संबंधित चीजें मिल जाएंगी।