जॉर्जिया के लोग क्यों डरते थे अलबर्टन के हिंदी सहित आठ भाषाओं वाले शिलालेखों से और पिछले साल जुलाई में इनके साथ क्या हुआ?
दुनिया ने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत प्रगति कर ली है, यह बात हम सभी जानते हैं। पहले जिन बातों को दैवीय कार्य माना जाता था, आज विज्ञान में हमें बता दिया है कि ऐसा क्यों होता है। लेकिन, इसके बावजूद अनेक ऐसी बातें हैं, जिनकी गुत्थी सुलझाना आज भी मुश्किल है। हम आपको रहस्यलोक की इस कड़ी में अमेरिका के शैतानी गाइडस्टोन के बारे में बताएंगे।
अमेरिका के जाॅर्जिया प्रांत में स्थित गाइडस्टोन यानी शिलालेख 19 फीट तीन इंच ऊंचे चार ग्रेनाइट के पत्थरों से बना एक ढांचा था। जिसे 1980 में स्थापित किया गया था। इन पत्थरों का कुल वजन 1,07840 किलो यानी एक हजार क्विंटल से अधिक था। इन पत्थरों पर अंग्रजी, स्पेनिश, स्वहिली, हिंदी, हेब्रू, अरबी, चीनी और रूसी भाषा में दस सिद्घांत लिखे हुए थे। इस भाषाओं को चुनने की वजह यह थी कि ये लगभग पूरी दुनिया को कवर करते थे। जिसने भी ये पत्थर लगाए थे, उसका मानना था कि नाभिकीय युद्ध के बाद प्रकृति के संरक्षण के प्रति मानव को गाइड करने के लिए से सिद्धांत बनाए गए हैं। इन पत्थरों पर लिखे सिद्धांत चार थीम दुनिया की सरकार, जनसंख्या, पर्यावरण और मानवता का प्रकृति और अध्यात्म से संबंध पर आधारित थे।
गाइडस्टोन पर हिंदी में यह लिखा था-
- मानव आबादी को 500 करोड़ तक सीमित रखें हालांकि अंग्रेजी में यह संख्या 500 मिलियन यानी पचास करोड़ है। मानव और प्रकृति के बीच सतत संतुलन बनाए रखें
- उत्पादन (यानी प्रजनन) प्रक्रिया को बुद्धिमत्ता से निर्देशित करें। योग्यता (अंग्रेजी में फिटनेस) और विविधता के उन्नयन के साथ
- मानव की उन्नति नवभाषा के द्वारा संगठित करें
- आवेग, आस्था और परंपरा एंव अन्य गतिविधियों पर विवेक का संयम हो
- जनता एवं राष्ट्र की समुचित कानूनों एवं न्याय आधारित अदालतों द्वारा रक्षा करें
- निर्बाध शासन करते हुए वाह्य विवादों का विश्व अदालत द्वारा समाधान करें
- लघु कानूनों और बेकार अफसरों का परिग्रह करें
- व्यैक्तिक अधिकारों को सामाजिक कर्तव्यों के साथ संतुलित करें
- सत्य-सौंदर्य-प्रेम की अनंत के साथ सद्भाव स्थापित करते हुए पुरस्कृत करें
- पृथ्वी पर कैंसर की तरह मत रहो, प्रकृति के लिए जगह छोड़ो – प्रकृति के लिए जगह छोड़ो
इन दस सिद्धांतों ने दुनिया के एक बड़े वर्ग में हलचल मचा दी। क्योंकि ये सिद्धांत पढ़ने में जितने सरल दिख रहे थे, इनके अर्थ उतने ही गूढ़ थे या कहें कि अत्यंत ही डरावने थे। असल में इसका पहला सिद्धांत दुनिया की आबादी को 50 करोड़ पर सीमित करने की बात कह रहा था। हिंदी में इसे 500 करोड़ लिखा गया था, लेकिन असल में यह 500 मिलियन ही था और िहंदी में मिलियन के लिए करोड़ लिख दिया गया था। 500 मिलियन 50 करोड़ ही होते हैं। इसका आशय स्पष्ट था कि ये सिद्धांत दुनिया की अधिसंख्य आबादी को मिटाने की वकालत कर रहे थे। यानी वे परमाणु युद्ध के पक्षधर थे और अधिसंख्य आबादी के विनाश के बाद दुनिया को नए सिरे से व्यवस्थित करना चाहते थे। इसी सोच की वजह से इन शिलालेखों ने लोगों के मन में डर भर दिया था।
अब आप सोच रहे होंगे कि इन पत्थरों को लगाने वाले कौन थे तो आपको बता दें कि यह कभी पता नहीं चल सका कि इन्हें असल में लगाया किसने था। लेिकन इन्हें लगाने की जो कहानी सामने आई है, उसके मुताबिक जून 1979 में रॉबर्ट सी क्रिश्चियन छद्म नाम से एक व्यक्ति अलबर्टन ग्रेनाइट फिनिशिंग कंपनी में पहुंचा। उसने खुद को विश्वस्त अमेरिकियों के एक छोटे से ग्रुप का प्रतिनिधि बताया और इन पत्थरों को स्थापित करवाया। उसने इन पत्थरों को कंपास यानी कुतुबनामा, कलेंडर और घड़ी बताने के साथ इन्हें विनाशकारी घटनाओं का सामना करने में भी सक्षम बताया। उसने खुद के ईसाई होने को दिखाने के लिए ही अपने छद्म नाम में क्रिश्चियन लगाया था। उसने इन पत्थरों को ब्रिटेन के स्टोनहेंज के समान बताया था।
अल्बर्टन ग्रेनाइट के जो फेंडले ने बताया कि उसे लगा कि क्रिश्चियन कोई धोखेबाज है, इसलिए उसने उसे हतोत्साहित करने के लिए इन पत्थरों को लगाने के खर्च कई गुना बढ़ाकर बताया। जो तब हैरान रह गए, जब क्रिश्चियन ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। क्रिश्चियन ने कहा कि वह जिस ग्रुप के लिए काम करता है वह अपना नाम गुप्त रखना चाहता है। उस समय इन पत्थरों को लगाने पर करीब एक लाख डॉलर खर्च आया था।
क्रिश्चियन ने इन गाइडस्टोन को लगाने के लिए जॉर्जिया के अल्बर्टन शहर को चुना था। इसे लगाने के लिए उसने पांच एकड़ जगह एक स्थानीय फार्म मालिक से इस शर्त पर ली थी, कि उसे व उसके बच्चों को इस जमीन पर अपने पशुओं को चराने का हक जीवनपर्यंत रहेगा। 22 मार्च 1980 को इस स्मारक का उद्घाटन अमेरिकी सांसद डग बर्नाड ने 200 से 300 लोगों की मौजूदगी में किया था। इस स्मारक के प्रायोजकों ने अपने कहा था कि गाइडस्टोन पर मानव के आज और भविष्य के लिए सरल संदेश है। हमारा मानना है कि हमारी धारणा मजबूत है और यह अपनी योग्यता के दम पर कायम रहेगी। क्रिश्चियन असल में कौन था यह कभी पता नहीं चला, लेकिन 1981 में उसने इस जमीन और गाइडस्टोन की मल्कियत अलबर्ट काउंटी को स्थानांतरित कर दी। 2022 तक यह गाइडस्टोन एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया था, जहां पर हर साल करीब 20 हजार लोग आते थे।
यह गाइडस्टोन उद्घाटन से पहले ही विवादों में आ गया था। स्थानीय लोग इसे किसी शैतान का काम मानते थे। लोग यहां पर अजीब संगीत और आवाज सुनने का भी दावा करते थे। लोगों ने 2008 में इन पत्थरों को रंग लगाकर गंदा कर दिया था बाद में यहां पर बाद में सुरक्षा के लिए कैमरे भी लगा दिए गए थे। 2022 स्थानीय चुनाव में प्रचार के दौरान एक रिपब्लिकन प्रत्याशी ने तो इन गाइडस्टोन को शैतानी करार दिया था और इन्हें हटाने का आह्वान भी किया था। 6 जुलाई 2022 को सुबह चार बजे हुए एक विस्फोट में इस गाइडस्टोन के चार पत्थरों में से स्वाहिली और हिंदी लिखे पत्थरों को व्यापक क्षति हुई। जिसके बाद सुरक्षा की दृष्टि से बाकी पत्थरों को गिरा दिया गया। पुलिस जांच में सीसीटीवी फुटेज में एक वाहन को मौके से जाता देखा गया और इस तरह से इन गाइडस्टोन का अंत हो गया।