क्या आप जानते हैं कि पानी तरल, ठोस या गैस के अलावा चौथी अवस्था में भी मिलता है? धरती पर मौजूद पानी से तीन गुना अधिक पानी कहां है?
आज हम चंद्रमा और मंगल सहित अनेक ग्रहों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। अनेक देशों के प्रोब यानी जांच करने वाले रोबोटनुमा उपकरण इन ग्रहों पर मौजूद हैं। लेकिन हमारी खुद की पृथ्वी इतनी रहस्यमयी है कि अभी हमें इसके बारे में ही बहुत कुछ जानना बाकी हैं। आज हम अापको एक ऐसी जानकारी दे रहे हैं, जो आपको चौंका देगी। आप सभी यह तो भली प्रकार जानते हैं कि पृथ्वी के 70 फीसदी करीब तीन चौथाई हिस्से पर समुद्र है और पानी तीन अवस्थाओं तरल, ठोस व गैस के रूप में रहता है। अब अगर हम कहें कि पृथ्वी के भीतर सतह पर मौजूद कुल जल भंडार से अधिक जल है तो चौंकिएगा नहीं। यही नहीं, यह जल न तो तरल है, न ठोस है और न ही गैस के रूप में हैं। आपका सवाल यही होगा कि फिर यह किस रूप में है?
हम आपकी इन सभी शंकाओं का समाधान करेंगे। शुरुआत करेंगे कि यह पानी कर भंडार है कहां? पानी का यह भंडार पृथ्वी की सतह के करीब चार सौ मील यानी 600 किलोमीटर नीचे मेंटल रॉक में जमा है। जिन चट्टानों में यह पानी जमा है, उन्हें रिंगवुडाइट कहते हैं। इन रिंगवुडाइट में पानी स्पांज जैसी अवस्था में होता है। रिंगवुडाइट की क्रिस्टल संरचना खास तरह की होती है, जो हाइड्रोजन का आकर्षित करता है और पानी को दबोच लेता है। रिंगवुडाइट में पानी हाइड्रोक्साइड के रूप में होता है। असल में वैज्ञानिकों को इस पानी का पता अचानक ही चला। इसकी कहानी यह है कि ब्राजील में वैज्ञानिक एक टूटे हुए हीरे की जब जांच कर रहे थे तो उन्हें ओलिवियन खनिज का एक बहुत ही सूक्ष्म हिस्सा मिला, यही रिंगवुडाइट था। जो पृथ्वी के करीब 500 से 600 किलोमीटर नीचे अत्यधिक दबाब की स्थिति में बनता है। इसकी जांच के बाद ही वैज्ञानिकों को पृथ्वी के भीतर स्पांज के रूप में पानी होने का पता चला। मेंटल पृथ्वी के भीतर की वह चट्टान है जो बहुत ही गर्म है और पृथ्वी का अधिकांश हिस्सा मेंटल से ही बना है। सवाल यह भी था कि रिंगवुडाइट का यह हिस्सा पृथ्वी पर पहुंचा कैसे, क्योंकि मेंटल तक तो पहुंचना ही असंभव है। इस बारे में वैज्ञानिकों का मानना था कि यह संभवतया मैग्मा के साथ पृथ्वी पर आया है। उनका कहना था कि जिस तरह से सोडे की बोतल में मिंट की गोली डालने पर वह तेजी से फव्वारे की तरह उछलता है, वैसे कि किसी कारण से मैग्मा भी इसी तरह उछला होगा और रिंगवुडाइट पृथ्वी पर आ गया हो।
रिंगवुडाइट में मिले पानी के आधार पर अब वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हम यह माने के पूरे मेंटल में एक फीसदी पानी भी मौजूद हो तो यह पृथ्वी के पानी से तीन गुना अधिक होगा।