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संन्यास या कुछ और? हरीश रावत अब नहीं लेंगे कोई पद, शुक्रवार को राजनीतिक उद्देश्य के लिए अंतिम बार जाएंगे दिल्ली

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को आखिर समझ आ ही गया कि अब उत्तराखंड में पद की लड़ाई से उनको अलग हो जाना चाहिए। यही वजह है कि गुरुवार को उन्होंने घोषणा कर दी कि अब वह कोई पद नहीं लेंगे। गुरुवार को सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट में हरदा के नाम से चर्चित रावत ने कहा है कि कल मैं कांग्रेस नेतृत्व को कर्नाटक की निश्चित जीत के लिए बधाई देने दिल्ली पहुंचूंगा। मेरा राजनीतिक उद्देश्य से दिल्ली का यह लगभग अंतिम प्रवास होगा। मैं अब अपने जीवन की शेष शक्ति उत्तराखंड कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए लगाना चाहता हूं, क्योंकि यह तो तथ्य है कि 2017 में जिस समय कांग्रेस की हार हुई लगभग संपूर्ण नेतृत्व मेरे हाथ में था। यदि कांग्रेस को नुकसान हुआ है तो उसकी भरपाई का प्रयास भी मुझ ही को ही करना चाहिए। हां इतना अवश्य है कि इस भरपाई के लिए मैं एक सामान्य कांग्रेसजन जो किसी पद की आकांक्षा में नहीं है उस रूप में कार्य करूंगा और पार्टी के चतुर्भुज नेतृत्व को निरंतर शक्ति देता रहूंगा।

हरदा की इस पोस्ट के दो मायने निकाले जा सकते हैं, पहली बात तो यह है कि अब वे उत्तराखंड में सीएम पद की दौड़ से बाहर हैं। हरदा को भले ही यह बाद अब समझ आई हो, लेकिन उत्तराखंड की जनता ने दो चुनावों में तीन सीटों से उन्हें हराकर पहले ही बता दिया था कि अब वे सीएम पद के लिए मंजूर नहीं हैं। इस पोस्ट का दूसरा अर्थ यह है कि हरदा अब एक तरह से राजनीति से संन्यास ले रहे हैं। भले ही वह कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने का संकल्प ले रहे हैं, लेकिन बिना पद की लालसा के लिए वह ऐसा किसके लिए करेंगे, दूसरी बात जो नेता अपनी खुद की सीट नहीं जीत सकता हो, वह कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने में मददगार हो सकेगा यह सबसे बड़ा सवाल है। यानी, कहा जा सकता है कि अब हरदा के घर बैठकर खीरे, काफल, हिंसोल और झंगोरा खाने का समय आ गया है। पिछले कुछ समय से हरदा पहाड़ी खानपान को लेकर पोस्ट डालने में खासे सक्रिय रहें हैं।

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