मोदी ने व्हाइट हाउस में ऐसा क्या किया कि भावुक हो गए बाइडन? मोदी के तोहफे की क्या थी खासियत?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूबी है कि वे मौके पर चौका लगाने से कभी नहीं चूकते। यही काम उन्होंने भारतीय समय के अनुसार गुरुवार की सुबह कर दिखाया। अमेरिकी समय के मुताबिक प्रधानमंत्री बुधवार की रात व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी डॉ. जिल बाइडेन के खास मेहमान थे। किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के लिए यह खास सम्मान होता है और यह अमेरिका के साथ नजदीकी का भी प्रतीक होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर बाइडेन दंपत्ति के लिए खास उपहार चुने थे। उन्होंने जिल बाइडेन को 7.5 कैरेट का भारतीय लैब में बना हीरा प्रदान किया। लेकिन, राष्ट्रपति बाइडेन के लिए वह जो उपहार लेकर गए, वह अपने आप में न केवल अनूठा था, बल्कि उसके माध्यम से प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति के जिस पहलू से बाइडेन को रुबरू कराया, उसने अमेरिकी राष्ट्रपति को गदगद कर दिया। आप भी सोच रहे होंगे कि बाइडन को अगर कोई तोहफा दिया जाएगा तो वह खास तो होना ही चाहिए, लेकिन हम आपको इसकी वह खासियत बताते हैं, जो इसकी कीमत से नहीं, बल्कि इसकी भारतीय संस्कृति में महत्ता से पता चलता है। पहले जान लें कि प्रधानमंत्री का तोहफा खास क्यों है।
असल में प्राचीन भारतीय परंपरा के मुताबिक जब कोई व्यक्ति दृष्टा सहस्रचंद्रो हो जाता है यानी एक हजार पूर्णमासी देख लेता है तो उस व्यक्ति का खास तरह से सम्मान होता है। भारतीय पंचाग के मुताबिक दो पूर्णमासी के बीच 29.53 दिन का अंतर होता है। यानी 1000 पूर्णमासी करीब 29530 दिनों में पड़ेंगी। यह समय करीब 80 साल आठ महीने होता है। जब कोई व्यक्ति इस उम्र पर पहुंच जाता है तो वैदिक रीतिरिवाज के मुताबिक उसके लिए विनयक पूजा व पूर्णाहुति के साथ ही सहस्र पूर्ण चंद्रोदयम समारोह मनाया जाता है। इस समारोह के दौरान उसे दस चीजें दान में देने की परंपरा है, जिसेदस दानम् कहा जाता है। ये दस दान हैं- गोदान, भूदान, तिलदान, हिरण्यदान यानी सोनादान, आज्यादान यानी घी दान, धान्यदान यानी अनाजदान, वस्त्रदान, गुड़दान, रौप्यादान यानी चांदी दान और लवण दान।
अब आपको बता दें कि जो बाइडेन 80 साल के हो चुके हैं और उनके सहस्र पूर्ण चंद्रोदयम समारोह के प्रतीक के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनके लिए खास उपहार चुना। इसमें जयपुर के कलाकारों ने मैसूर के चंदन से बना खास नक्काशीदार डिब्बा तैयार किया। इसमें कोलकाता के सुनारों द्वारा बनाई गई चांदी की बनी गणेश प्रतिमा व एक दीपक था। साथ ही उत्तर प्रदेश के कलाकारों द्वारा तैयार ताम्रपत्र था, जिस पर एक श्लोक लिखा था। इस डिब्बे में दस दानम् के प्रतीक के रूप में दस डिब्बियों में दस वस्तुएं थ्ाीं। सबसे पहले इसमें पश्चिम बंगाल के कलाकारों द्वारा हाथ से बनाया हुआ चांदी का नारियल था, जो गोदान का प्रतीक है। एक डिब्बी में मैसूर के चंदन का एक टुकड़ा था,जो भूदान का प्रतीक है। एक डिब्बी में तिलदान के प्रतीक के रूप में तमिलनाडु के तिल, एक डिब्बी में हिरण्यदान का प्रतीक राजस्थान के कलाकारों द्वारा हाथ से बनाया 24 कैरेट सोने का सिक्का व एक अन्य डिब्बी में पंजाब का घी था, जो आज्यादान का प्रतीक था। वस्त्रदान के रूप में झारखंड का टस्सर सिल्क, धान्यदान के रूप में उत्तराखंड का बासमती, गुड़दान के रूप में महाराष्ट्र का गुड़, रौप्यदान के रूप में चांदी सिक्का और लवण दान के रूप में गुजरात का नमक था। इस तोहफे को देकर प्रधानमंत्री मोदी ने बाइडेन 80 साल पूरे करने को भी खास बना दिया।