क्या नासा ने एलियन के ग्रह का पता लगा लिया है?
पृथ्वी के सौर मंडल के बाहर स्थित ग्रह पर पानी, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन होने के सुबूत मिले
नासा की जेम्स वेब स्पेस दूरबीन से मिले प्रमाणों के मुताबिक पृथ्वी से 120 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित एक ग्रह की सतह पर कलकल करता हुआ पानी बह रहा है। अंतरिक्ष आधारित दुनिया के इस सबसे आधुनिक उपकरण ने रहस्योद्घाटन किया है कि सुदूर ग्रह के2-18बी पर ऐसे अनेक फीचर मिले हैं, जो पानी और जीवन होने की ओर इशारा करते हैं। यह ग्रह पृथ्वी से 8.6 गुना बड़ा है। वेब दूरबीन ने पता लगाया है के इस ग्रह के वातावरण में भारी मात्रा में मीथेन और कार्बन डाईऑक्साइड मौजूद है।
नासा के मुताबिक इन कार्बन वाले अणुओं में अमोनिया का अभाव है, जो इस बात का संकेत है कि इस ग्रह के वातावरण में हाइड्रोजन की अच्छी मात्रा है और यह समुद्र से घिरा है। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिए कार्बन को वजह माना जाता है। हब्बल दूरबीन ने 2019 में इस ग्रह पर जल वाष्प का पता लगाया था, जिसके बाद अब आगे अध्ययन के लिए जेम्स वेब दूरबीन को काम पर लगाया गया। जिसके बाद उसने इस ग्रह पर एक खास अणु का पता लगाया है, जिसे डिमिथाइल सल्फाइड कहा जाता है। नासा का कहना है कि पृथ्वी पर यह अणु सिर्फ जीवित चीजों द्वारा ही उत्पन्न होता है। पृथ्वी के वातावरण में इस अणु का सर्वाधिक विसर्जन समुद्री वातावरण में पादप पल्वक या फाइटोप्लांकटन द्वारा किया जाता है। फाइटोप्लांकटन पौधों की ही तरह सूर्य के प्रकाश का इस्तेमाल कार्बन डाईऑक्साइड, शर्करा और ऑक्सीजन पैदा करने में करते हैं।
खगोलशास्त्री और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में एस्ट्रोफिजिक्स और एक्सोप्लेनेटरी विज्ञान के प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन कहते हैं कि रिसर्चर अभी यह नहीं कह रहे हैं कि इस ग्रह पर एलियन विचरण कर रहे हैं। लेकिन, डाईमिथाइल सल्फाइड की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए हमें अभी और रिसर्च की जरूरत है। मधुसूदन ने ही इस खोज को एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित किया है। उन्होंने कहा कि यदि इस यौगिक की इस ग्रह मौजूदगी पूरी तरह पुष्ट हो जाती है, तो भी इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती कि वहां पर जीवन है ही। इस नए प्रमाण से वैज्ञानिकों की हमारे सौरमंडल से बाहर स्थित के2-18बी जैसे बहिर्ग्रहों के बारे में जानकारी जरूर बढ़ेगी। वे कहते हैं कि यह एक ऐसा बहिर्ग्रह हो सकता है, जो गर्म हो, लेकिन यहां पर समुद्र हों और इसके वातावरण में हाइड्रोजन की बहुलता हो। कहा जाता है कि जहां पर तरल समुद्र है, वहां पर जीवन है, लेकिन रिसर्चर अभी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं कि इन ग्रहों पर जीवन पनप सकता है। हालांकि अभी रिसर्चर अपने काम में लगे हुए हैं और वे आने वाले समय में कई और रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं।