केजरीवाल को जमानत से क्यों बढ़ी कांग्रेस की चिंता?
सुप्रीम कोर्ट की कृपा से 21 दिन के लिए जेल से बाहर आए अरविंद केजरीवाल क्या चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचा पाएंगे? यह सवाल आज सबसे अहम है। अगर मोटे तौर पर देखें तो दिल्ली में केजरीवाल के प्रचार में जुटने से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जरूर जोश भर गया है, लेकिन कांग्रेस के चेहरे पर मायूसी है। इसकी बड़ी वजह यह है कि कांग्रेस को लगने लगा है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी उसे बड़ा झटका दे सकती है। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस की सीटें पिछले चुनाव से भी कम हो जाएंगी। केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कड़ी टिप्पणी भी की थी। यही नहीं राहुल गांधी ओर से भी केजरीवाल की रिहाई पर कोई प्रतिक्रिया न जताना भी दिखाता है कि कांग्रेस इस घटनाक्रम से कहीं न कहीं चिंतित जरूर है। भाजपा पर इसका शायद ही कोई असर पड़े, क्योंकि वह पहले भी केजरीवाल के होते हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली में जीतती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वसनीयता केजरीवाल से कहीं अधिक है।
शराब घोटाले में गिरफ्तार केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने एक अप्रत्याशित फैसले में 21 दिन की अंतरिम जमानत चुनाव प्रचार के लिए दी है। ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी विचाराधीन अभियुक्त को इस तरह से छूट दी गई हो। सामान्यतया सजायाफ्ता अपराधियों को इस तरह की फरलो देने का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बड़ी न्यायिक बहस भी चल रही है। केजरीवाल 2 जून को आत्मसर्मपण करेंगे। हालांकि, इस बीच उनकी कोशिश नियमित जमानत लेने अथवा अपनी गिरफ्तारी को ही रद्द करवाने की भी रहेगी, ताकि उन्हें दोबारा जेल न जाना पड़े। इसमें वह कितने सफल होंगे यह समय ही बताएगा।
केजरीवाल ने जेल जाने के बाद भी जिस तरह का संघर्ष किया और वह जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट को एक अप्रत्याशित फैसला देने के लिए तैयार कर पाए, उसने मोदी विरोधी गैंग में केजरीवाल को सबसे आगे कर दिया है। कहा तो यह जा रहा है कि राहुल की बजाय अब केजरीवाल मोदी विरोधी जॉर्ज सोरोस लॉबी की आंख के तारे बन गए है। यही वजह है कि कांग्रेस को केजरीवाल के बाहर आने से सबसे बड़ा धक्का लगा है। अगर कांग्रेस आज केजरीवाल से खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है तो इसके लिए राहुल ही जिम्मेदार हैं। कांग्रेस बिना सोचे समझे शराब घोटाले में केजरीवाल का समर्थन किया। इससे केजरीवाल तो मजबूत हो गए, लेकिन कांग्रेस खुद कमजोर पड़ गई। जिस शराब घोटाले को कांग्रेस ने उठाया था, उस पर जब कार्रवाई हुई तो कांग्रेस केजरीवाल के साथ खड़ी हो गई। कांग्रेस को न तो केजरीवाल द्वारा दी गई गालियां याद आईं और न ही अपने सर्वोच्च नेताओं के अपमान का ध्यान रहा। कांग्रेस यह भी भूल गई कि दिल्ली और पंजाब में भाजपा ने उसका कोई नुकसान ही नहीं किया, बल्कि केजरीवाल ने ही इन दोनों जगहों पर उसका सफाया किया है। अगर कांग्रेस को दिल्ली और पंजाब में अपनी जगह फिर हासिल करनी है तो उसे भाजपा नहीं केजरीवाल से लड़ना होगा। इसके विपरीत, जब उसके पास सबसे अच्छा मौका आया, वह केजरीवाल के ही बचाव में जुट गई। अगर कांग्रेस को लगता है कि दिल्ली में केजरीवाल के साथ आने से उसे कोई लाभ होने जा रहा है तो यह कांग्रेस की भूल है। केजरीवाल जैसा शातिर राजनेता कांग्रेस को दिल्ली में जमने का कोई भी मौका क्यों देना चाहेगा?