
11 मई की एक प्रेस ब्रीफिंग में एयर मार्शल ए.के. भारती ने पंजाब से बरामद की गई एक चीनी PL-15 मिसाइल की फोटो दिखाई, जो लगभग पूरी तरह से सही हालत में थी. यह मिसाइल पाकिस्तान के एक फाइटर जेट से भारत के साथ चार दिनों तक चले युद्ध के दौरान दागी गई थी.
जब यह चीनी मिसाइल लगभग सात साल पहले पहली बार सार्वजनिक रूप से देखी गई थी, तो इसे अमेरिका और यूरोपीय देशों की एयर-टू-एयर मिसाइलों की टक्कर में दिखाया गया था1 केवल दूरी ही नहीं, बल्कि रफ्तार और दिशा-निर्देशन की क्षमता के लिहाज़ से भी.
हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल की पहले युद्ध में तैनाती ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या यह वाकई अपनी श्रेणी की सबसे उन्नत मिसाइल साबित हुई है. इसका भारत में टारगेट से हटना और बिना फटे गिर जाना कई सवाल भी खड़े कर रहा है.
क्यों PL-15 चीन के लिए एक बड़ी छलांग थी
अमेरिका द्वारा दशकों पहले विकसित की गई AIM श्रृंखला की गाइडेड एयर-टू-एयर मिसाइलें अमेरिकी रक्षा बलों की रीढ़ रही हैं, जिनमें समय-समय पर सुधार होते रहे हैं. वर्तमान अमेरिकी संस्करण AIM-120 को यूरोपीय और चीनी प्रतिस्पर्धियों से पीछे बताया जा रहा है.
चीन का पहला विश्वसनीय एयर-टू-एयर मिसाइल PL-12 माना जाता है, जो 2005 के आसपास सामने आया था. इसके बाद, चीन ने PL-15 के साथ एक बड़ी तकनीकी छलांग लगाई.
AIM की तरह, PL-15 भी सॉलिड फ्यूल मोटर द्वारा संचालित होता है, लेकिन अन्य मिसाइलों की तुलना में इसमें ड्यूल-पल्स सॉलिड मोटर है, यानी दो हिस्सों में ठोस ईंधन होता है जिसे ज़रूरत के अनुसार इस्तेमाल किया जा सकता है़ इससे गति और दूरी दोनों में सुधार होता है.
स्पीड के मामले में PL-15 का सबसे करीबी प्रतिस्पर्धी यूरोपीय देशों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित मिटियोर एयर-टू-एयर मिसाइल मानी जाती है. हालांकि इसमें भी सॉलिड फ्यूल मोटर है, लेकिन साथ ही इसमें रामजेट होता है जो लिक्विड फ्यूल से चलता है और मिसाइल की स्पीड व रेंज बढ़ाता है. भारत के राफेल जेट्स में MBDA द्वारा निर्मित मिटियोर मिसाइलें लगी होती हैं.
हालांकि, PL-15 को अपने लक्ष्य से टकराते समय कहीं अधिक गति प्राप्त हो जाती है. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज़ के मिलिटरी एयरोस्पेस विशेषज्ञ डगलस बैरी ने 2022 के एक ब्लॉग में लिखा कि:
“मिटियोर की स्पीड लगभग मैक 3 से 3.5 हो सकती है, जबकि PL-15 के बर्न आउट समय पर यह मैक 5 से ऊपर हो सकती है.”
मैक 5 यानी ध्वनि की गति से पांच गुना तेज. तुलना के लिए, राफेल की टॉप स्पीड मैक 1.5 है और अधिकतर फाइटर जेट मैक 2 से आगे नहीं जाते, ताकि नियंत्रण और ईंधन की खपत पर असर न पड़े.
एयर-टू-एयर मिसाइलें कैसे काम करती हैं?
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इनका विकास हुआ, लेकिन इनकी मूल संरचना आज भी लगभग वैसी ही है.
एक एयर-टू-एयर मिसाइल के प्रमुख हिस्से:
- मोटर: मिसाइल को गति देता है.
- सीकर और फिन्स: लक्ष्य की दिशा में ले जाते हैं.
- वारहेड: टकराने पर या नज़दीक पहुंचने पर फटता है.
पहले ये मिसाइलें जेट इंजन की गर्मी का पीछा करती थीं, अब ये राडार द्वारा निर्देशित होती हैं. पहले फ्लेयर छोड़ कर इनसे बचा जा सकता था, अब यह तरीका बहुत सीमित हो गया है.
PL-15 को क्या बनाता है अलग?
PL-15 को AESA (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन की गई एरे) तकनीक से निर्देशित किया जाता है. इसमें बहुत से छोटे एंटीना होते हैं जो मिसाइल को कई लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक करने में सक्षम बनाते हैं. इससे दुश्मन का जामिंग सिस्टम मिसाइल के रडार को बेअसर नहीं कर पाता.
इसके अलावा, एक और बड़ी बात यह है कि मिसाइल को केवल वही जेट निर्देशित नहीं करता जिसने दागा है — बल्कि AWACS (एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) विमान भी लंबी दूरी तक इसे गाइड कर सकता है, जिससे यह कोऑपरेटिव टारगेटिंग संभव हो जाती है.
AWACS विमान 400 किमी दूर तक के लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है, जिससे PL-15 को सीमा पार के लक्ष्यों तक भी सही तरीके से पहुंचाया जा सकता है.
ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो मनोज जोशी ने बताया:
“AWACS द्वारा मिसाइल को आगे तक गाइड करने की यह क्षमता शायद शुरू में हमारे द्वारा पूरी तरह से समझी नहीं गई थी.”
पहले ग्राउंड सिस्टम द्वारा लक्ष्य तय होते थे, फिर जेट मिसाइल छोड़ता था और अंत में AWACS उसे लक्ष्य तक पहुंचाने का काम करता है.