
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‘वन बिग, ब्यूटीफुल बिल एक्ट’ अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने पारित कर दिया है. इस बिल के पास होने से अमेरिका में कार्यरत भारतीय और अन्य विदेशी कामगारों को स्वदेश भेजने वाले पैसे पर 3.5% टैक्स देना होगा. यह 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा. पहले इस पर 5% कर का प्रस्ताव था, जिसे घटाया गया है. यह निर्णय विशेष रूप से भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, जो अमेरिका में सबसे बड़े प्रवासी समूहों में से एक है.
29 लाख भारतीय रहते हैं यूएस में
2023 तक अमेरिका में 29 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी रह रहे थे, जिससे अमेरिका संयुक्त अरब अमीरात के बाद भारतीयों के लिए दूसरा सबसे लोकप्रिय गंतव्य बन गया है. भारतीय अमेरिका में मैक्सिकन प्रवासियों के बाद दूसरा सबसे बड़ा विदेशी मूल समूह हैं, जो अमेरिका की कुल 4.78 करोड़ विदेशी जनसंख्या का 6% हिस्सा हैं.
अमेरिका के लिए भारत या कहीं और न बनाएं आईफोन
ट्रंप ने एक अन्य पोस्ट में एप्पल के सीईओ टिम कुक को निशाने पर लेते हुए लिखा कि अमेरिका में ब्रिकी के लिए अमेरिका में ही बनाए जाने चाहिए न कि भारत या कहीं और. यदि ऐसा नहीं होता तो ट्रंप के अनुसार आईफोन पर 25% का आयात शुल्क लगेगा.
ईयू के साथ बातचीत दिशाहीन
दूसरी ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार सुबह अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा कि वे यूरोपीय निर्यातों पर भारी शुल्क लगाने की तैयारी में हैं, जो कि 1 जून से प्रभावी होगा। ट्रंप ने लिखा कि यूरोपीय संघ के साथ बातचीत कहीं नहीं पहुंच रही है और मैं 1 जून से यूरोपीय आयातों पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने की सिफारिश कर रहा हूं.
फ्यूचर बाजार में गिरावट
इन पोस्ट्स का वित्तीय बाज़ारों पर त्वरित असर पड़ा और स्टॉक फ्यूचर्स में गिरावट देखी गई. हाल के हफ्तों में वैश्विक व्यापार संबंधों में कुछ स्थिरता आई थी, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप मध्य-पूर्व दौरे और टैक्स बिल पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे. लेकिन इन नई घोषणाओं ने फिर से अस्थिरता बढ़ा दी है. अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में, ट्रंप ने लगातार आयात शुल्कों की कई किस्तों की घोषणा की थी, जिससे बाज़ारों में उथल-पुथल मच गई थी. हालांकि पिछले महीने उन्होंने कुछ शुल्क स्थगित कर दिए थे ताकि अन्य देशों से व्यापार समझौते किए जा सकें.
ट्रंप प्रशासन इस समय 12 से अधिक देशों के साथ व्यापार वार्ता कर रहा है, जिनमें यूरोपीय संघ भी शामिल है। लेकिन कुछ विदेशी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका ने अपनी मांगें स्पष्ट नहीं की हैं, और उन्हें यह डर है कि किसी भी समय उन पर फिर से शुल्क लगा दिए जा सकते हैं।
इससे पहले अप्रैल में ट्रंप ने इलेक्ट्रॉनिक्स को चीन पर लगाए गए शुल्क से बाहर रखा था, जिससे एप्पल जैसी कंपनियों को अरबों डॉलर का फायदा मिल सकता था. लेकिन शुक्रवार को उनके बयान से संकेत मिलता है कि वह अब इस फैसले पर पुनर्विचार कर रहे हैं.
आईफोन का अमेरिका में निर्माण करना एप्पल के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इसकी निर्माण प्रक्रिया के लिए विशेष प्रशिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता होती है, जो अमेरिका में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं.
एप्पल के सीईओ टिम कुक ने 2017 में कहा था:
अमेरिका में हम शायद टूलिंग इंजीनियरों की एक मीटिंग नहीं भर पाएंगे, जबकि चीन में कई फुटबॉल मैदान भर सकते हैं.