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अल्फांसो नहीं केसर है अमेरिका में आम का राजा

लंबी शेल्फ लाइफ और गुजरातियों के लगाव से पहले स्थान पर पहुंचा

गुजरात में उगाया जाने वाला केसर आम अमेरिका में लंबे समय से राज कर रहे नाजुक अल्फांसो को पीछे छोड़ते हुए भारत से निर्यात होने वाला प्रमुख आम बन गया है. अमेरिका अब भारतीय आमों का सबसे बड़ा बाजार बन चुका है. केसर का वैश्विक वर्चस्व केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है. पिछले वित्त वर्ष में केसर पहली बार अल्फांसो को पीछे छोड़ते हुए भारत से सबसे अधिक निर्यात किया जाने वाला आम बना, जिसकी वैश्विक निर्यात वैल्यू 11.25 मिलियन डॉलर थी, जबकि अल्फांसो की वैल्यू 8.68 मिलियन डॉलर रही. आम के अन्य बड़े बाजारों में सऊदी अरब, यूके, कनाडा, जर्मनी, कुवैत, ओमान और नीदरलैंड्स शामिल हैं. केसर की लोकप्रियता महज कोई ‘आम’ कहानी नहीं है. इसका मजबूत आकार और लंबी शेल्फ लाइफ इसे निर्यात के लिए आदर्श बनाती है. गुजराती प्रवासियों के भावनात्मक जुड़ाव ने भी इसकी मांग को बढ़ावा दिया है. कई निर्यातक अमेरिका में अल्फांसो के प्रशंसकों को केसर प्रेमी में बदलने की कोशिश कर रहे हैं. अल्फांसो बहुत नाज़ुक होता है, निर्यात में कई समस्याएं आती हैं, केसर ज़्यादा टिकाऊ है.

मैंगो मैजिक

24.97 मिलियन डॉलर के आम व आम पापड़ अमेरिका निर्यात किए भारत ने अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच

20.78 मिलियन डॉलर के आम दूसरे स्थान पर रहे संयुक्त अरब अमीरात को भेजे गए

4.63 मिलियन डॉलर के केसर आम अमेरिका भेजे गए

2.85 मिलियन डॉलर ही रहा अल्फांसो का यूएस में निर्यात

1.43 मिलियन डॉलर के रेशे रहित बंगनापल्ली भी अमेरिका भेजे गए

अन्य लोकप्रिय किस्मों में लंगड़ा, दशहरी, चौसा, तोतापुरी और मल्लिका शामिल हैं.

 

कोविड के बाद बढ़ी आम की खपत

कोविड-19 के बाद से अमेरिकी लोग स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग हुए हैं और खनिजों से भरपूर भारतीय आमों की खपत की यही बड़ी वजह है. परन्तु लागत एक बड़ी बाधा बनी हुई है. अमेरिका में आम के खुदरा मूल्य का 60-65% खर्च शिपिंग पर होता है. गुजरात से अमेरिका तक 5 दिन का फार्म टू फोर्क सफर तय होता है, जिसमें हॉट वॉटर ट्रीटमेंट, रेफ्रिजरेटेड ट्रक से नवी मुंबई भेजना और फिर रेडिएशन प्रक्रिया शामिल है, जो अमेरिका के लिए अनिवार्य है. एक पैक (तीन आमों) की रेडिएशन लागत 150 है, जिसे अमेरिका में 35 से 40 डॉलर में बेचा जाता है. अमेरिका को आम भेजना मुनाफ़ेदार लेकिन जटिल है. ट्रकों को सील और प्रमाणित करना होता है. वहां जाने वाले आम को दूसरी जगह भेजा नहीं जा सकता. यूएई को निर्यात करना आसान और तेज है. समुद्र मार्ग से एक सप्ताह में आम पहुंच जाते हैं.

कोविड में लगा था आम को झटका

2020–21 में महामारी के दौरान अमेरिका को आम का निर्यात बंद हो गया था, क्योंकि यूएसडीए के निरीक्षक भारत नहीं आ सके थे. 2022 में यह फिर शुरू हुआ और अल्फांसो को प्राथमिकता दी गई. तब केसर का निर्यात मात्र 2.92 मिलियन डॉलर था, जबकि अल्फांसो 6.08 मिलियन डॉलर पर था. लेकिन अगले तीन वर्षों में केसर के निर्यात में 285% की वृद्धि हुई और अल्फांसो को पछाड़ दिया.

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