
मेक इन इंडिया की सफल कहानियों में शामिल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र इस समय मानव संसाधन से जुड़ी दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है. इस उद्योग में ब्लू-कॉलर शॉपफ्लोर कर्मचारियों से लेकर उच्च स्तर के इंजीनियरिंग टैलेंट की भारी कमी दिख रही है. यह अंतर सबसे अधिक स्मार्टफोन उद्योग में देखा जा रहा है जो एआई और रोबोटिक्स को तेजी से अपना रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में सेमीकंडक्टर्स, कंपोनेंट्स, कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स और मोबाइल फोन कंपनियों को 2027-28 तक लगभग 1.2 करोड़ लोगों की आवश्यकता होगी, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह संख्या 60 लाख थी. आश्चर्य की बात यह है कि यह टैलेंट गैप उस समय सबसे अधिक नजर आ रहा है, जब कई कंपनियां ग्लोबल प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए रोबोटिक्स और एआई को अपना रही हैं और टैरिफ नीतियों से तय हो रहा है कि भारत में भविष्य में एप्पल और सैमसंग जैसे ब्रांड्स कितना निवेश करेंगे. स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों पर लाभ मार्जिन को बचाने का दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि पांच साल की पीएलआई स्कीम अगले साल समाप्त हो रही है और नई तकनीकों को अपनाने से टैलेंट की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर और बढ़ रहा है. विशेषज्ञों ने कहा कि नई तकनीकों को अपनाने से एक उल्लेखनीय अंतर उभरा है, जिसमें विकास, ऑटोमेशन और उन्नत सप्लाई चेन प्रबंधन जैसी जटिल भूमिकाएं शामिल हैं, साथ ही तकनीशियन जैसी अपेक्षाकृत सरल भूमिकाएं भी. लेकिन उत्पादन क्षमताएं हर साल दोगुनी हो रही हैं और नई तकनीकों के तेजी से विस्तार के कारण कौशल की कमी और गहरी होने वाली है.
बढ़ती जरूरत
3.5 लाख लोग कार्यरत हैं मोबाइल फोन निर्माण क्षेत्र में इस समय
30% तकनीकी स्नातक ही उन्नत मैन्युफैक्चरिंग के लिए तैयार होते हैं
20% नए पद व भूमिकाएं पैदा हुई है इस साल
100% अधिक हैं ये एक साल पहले की तुलना में
आधुनिक तकनीक पर निर्भरता के कारण ऐसे कर्मचारियों की आवश्यकता है जिनके पास पूरा कौशल हो, लेकिन योग्य उम्मीदवारों की अक्सर कमी रहती है. यह उद्योग तकनीक और हेल्थकेयर जैसे अन्य क्षेत्रों से प्रतिस्पर्धा करता है जो अधिक वेतन और बेहतर कार्य स्थितियां प्रदान कर सकते हैं.
शॉप फ्लोर कर्मचारी
जहां तक ब्लू-कॉलर कर्मचारियों की बात है तो सामान्य कौशल की आवश्यकता में बहुत अधिक बदलाव नहीं आया है, लेकिन सही समय और स्थान पर योग्य व्यक्ति मिलना चुनौतीपूर्ण हो गया है, क्योंकि स्थानीय रूप से उपलब्ध आपूर्ति से अधिक मांग है.