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अबूझमाड़ में मारा गया डेढ़ करोड़ का इनामी बसवराजू

आंध्र-तेलंगाना में माओवादी पार्टी का पर्याय था, आईईडी एक्सपर्ट भी था, माओवादियों की टूटी कमर

अबूझमाड़ (छत्तीसगढ़) में एक मुठभेड़ में अपने 26 साथियों के साथ मारा गया नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में माओवादी पार्टी का चेहरा माना जाता था. 70 वर्षीय बसवराजू का जन्म आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में हुआ था और उसने रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज वारंगल से पढ़ाई की थी. तेलंगाना के एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने बताया कि वह आरईसी वारंगल के छात्र संघ का अध्यक्ष भी रहा था और उसने रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन के बैनर तले छात्र संघ चुनाव लड़ा था. उस समय उसे उनके जन्म नाम नंबाला केशव राव के रूप में जाना जाता था. अधिकारी ने कहा कि उस दौर में पूरा वारंगल वामपंथी उग्र संगठनों के प्रभाव में था. वह 1980 के दशक में प्रमुख भर्ती किए गए युवाओं में से एक था. 2004 में पीपुल्स वार ग्रुप (पीडब्लूजी) और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के विलय से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का गठन हुआ था. बसवराजू की आईईडी एक्सपर्ट माना जाता था और उसने सुरक्षाबलों पर हमले के लिए ऐसे कई बम बनाए थे. वह एनआईए की मोस्ट वांटेड सूची में था व उस पर डेढ़ करोड़ का इनाम भी था.

पार्टी को तगड़ा झटका

तेलुगु राज्यों के खुफिया अधिकारियों के अनुसार बसवराजू की मौत माओवादी पार्टी के लिए एक बहुत बड़ा झटका है क्योंकि वह उत्तरी और दक्षिणी कमांड के बीच की कड़ी . गणपति उर्फ मुप्पाला केशव राव के संगठन के महासचिव पद से हटने के बाद बसवा राजू ने उसकी जगह ली थी. एक अन्य तेलंगाना पुलिस अधिकारी ने कहा कि गणपति (70) को एक समय में नक्सलबाड़ी से लेकर दक्षिण भारत तक पार्टी को एकजुट करने वाला माना जाता था. वह देश भर में यात्रा करके पार्टी को एक छत के नीचे लाया था. बसवराजू ने उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर यह भूमिका निभाई. स्थानीय चर्चाओं के अनुसार बसवराजू एक दिन पश्चिम बंगाल में होते और अगले दिन श्रीकाकुलम में. वह सब कुछ पार्टी के लिए करता था.

वैचारिक और युद्ध रणनीति दोनों का प्रमुख था

अधिकारी ने बताया कि वह केवल पार्टी का वैचारिक प्रमुख नहीं था बल्कि रणनीतिक और सैन्य प्रमुख भी था. वह बहुत कम उम्र से ही पार्टी से जुड़ा हुआ था. उसकी मृत्यु पार्टी के लिए घातक हो सकती है और यह भी संभव है कि पार्टी अब विघटित हो जाए. पार्टी में अब ऐसा कोई नहीं है जो कैडर को एकजुट कर सके जैसा बसवराजू कर सकता था. माओवादी संगठन का पुनर्गठन अब लगभग असंभव हो गया है.

तेलुगु माओवादी नेटवर्क पर असर

अधिकारियों के अनुसार किशनजी (मल्लोजुला कोटेश्वर राव) की 2011 में 56 वर्ष की उम्र में मौत के बाद अब बसवराजू की मृत्यु माओवादी पार्टी की तेलुगु जड़ों को और कमजोर कर देगी. वैचारिक युद्ध में इस मौत से पार्टी का मनोबल बहुत नीचे गिर जाएगा.  तेलंगाना से पिछले कुछ वर्षों में कोई नई भर्ती नहीं हो रही है. ऐसे में पुराने कैडर की मृत्यु प्रतिबंधित संगठन के लिए घातक है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम पोलित ब्यूरो के अन्य सदस्यों से अपील करते हैं कि वे जल्द से जल्द समर्पण करें.

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