लोकरंग

कैसी थी कलकत्ता से लंदन के बीच चलने वाली बस? क्यों बंद करना पड़ा इसे?

अगर काेई आप से कहे कि वह बस से कोलकाता से लंदन गया है तो चौंकिएगा नहीं। क्योंकि 1973 तक कलकत्ता से लंदन के लिए बस चलती रही है और करीब 10000 मील यानी 16100 किलोमीटर का यह सफर 45 से 50 दिन में तय होता था। असल में यह किसी यात्रा से अधिक एक पिकनिक ट्रिप होती थी और बस आगरा, दिल्ली होते हुए पाकिस्तान पहुंचती थी। वहां से अफगानिस्तान, ईरान, तुर्की, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया, ऑस्ट्रिया, पश्चिमी जर्मनी व बेल्जियम होते हुए लंदन पहुंचती थी। आज इनमें से कई देशों का भूगोल भी बदल गया है। जर्मनी का एकीकरण हो चुका है और यूगोस्लाविया कई हिस्सों में विभाजित होकर इतिहास बन गया है। 1957 में जब यह बस सेवा शुरू हुई तो इसका एक तरफ का किराया 85 पाउंड था और 1973 में बंद होने से पहले इसका किराया 145 पाउंड हो चुका था। इस पैसे में बस के किराए के अलावा खाने और रहने का खर्च भी शामिल था।

यह बस सेवा अल्बर्ट ट्रैवल ने शुरू की थी। पहली बस 15 अप्रैल 1957 को लंदन से चली थी और यह 5 जून को कलकत्ता पहुंची थी। इसे यात्रा पूरी करने में 50 दिन लगे थे। यह लंदन से बेल्जियम होते हुए पश्चिम जर्मनी, ऑस्ट्रिया, यूगोस्लाविया, बुल्गारिया, तुर्की, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान होकर नई दिल्ली, आगरा, इलाहाबाद, और बनारस होकर कलकत्ता पहुंची। यह बस भी अपने आप में खास थी। इसमें पढ़ने की सुविधा, हरेक के सोने के लिए अलग बंक और पंखे वाले हीटर भी थे। बस के ऊपरी हिस्से में एक ऑबजर्वेशन लॉन्ज भी थी। बस में पार्टियों के लिए म्यूजिक सिस्टम और रेडियो की व्यवस्था भी थी। रास्ते में पड़ने वाले प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भी यह रुकती थी। तेहरान, साल्जबर्ग, काबुल, इस्तांबुल और वियना में शॉपिंग की भी अनुमति थी। कुल मिलाकर 45 से 50 दिन का सफर एक शानदार ट्रिप होता था।

इस सेवा के शुरू होने के कुछ सालों इस बस का एक्सीडेंट हो गया और वह इस्तेमाल के लायक नहीं रही। इस बस को बाद में एक ब्रिटिश घुमक्कड़ एंडी स्टीवार्ट ने खरीद लिया और उसने इसे एक डबल डेकर मोबाइल घर में बदल दिया। यहां इस बस की अगली यात्रा शुरू हुई। इस डबल डेकर बस का नाम अलबर्ट रखा गया और इसका नया रूट था, लंदन से सिडनी वाया भारत। इसका पहला सफर आठ अक्टूबर 1968 को शुरू हुआ। इसे लंदन से सिडनी पहुंचने में 132 दिन लगे। यह बस ईरान के रास्ते भारत पहुंची और वहां से बर्मा, थाइलैंड व मलयेशिया होते हुए सिंगापुर पहुंची। सिंगापुर से यह एक जहाज में पर्थ होते हुए सिडनी पहुंची। ईरान में बढ़ती दिक्कतों और भारत पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की वजह से इस बस सेवा को स्थगित करना पड़ा। पूरी तरह बंद होने से पहले इस बस ने कलकत्ता और लंदन के बीच कुल 15 चक्कर लगाए थे।

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